रात में भगवान भरोसे अस्पताल
जिला अस्पताल में खासकर रात में समय आने वाले ज्यादा मरीजों को राहत नहीं मिलती। खासकर जचकी के केस ज्यादातर रेफर कर दिए जाते हैं। इसका एक कारण यहां निश्चेतना डॉक्टर का नहीं होना है। इकलौती निश्चेतना डॉक्टर मसर्लिना टोप्पो है, लेकिन उनकी छुट्टी जिस दिन रहती है उस दिन सिजेरियन केस वाले मरीजों को रेफर करने के सिवाय कोई चारा नहीं रहता। हालांकि इसके लिए अस्पताल प्रबंधन द्वारा एक निजी अस्पताल के निश्चेतना डॉक्टर की सेवा भी ली जा रही है, लेकिन दिन में । ऐसे में रात के समय यहां ऐसे केस आने पर डॉक्टर और स्टाफ नर्स क्रिकिटल केस को रेफर करना ही मुनासिब समझते हैं।
सिविल सर्जन को पता ही नहीं
इधर अस्पताल (District Hospital) में इतना कुछ हो जाने के बाद भी सिविल सर्जन को इसकी जानकारी तक नहीं थी। पत्रिका द्वारा बताने के बाद सिविल सर्जन को इस मामले की जानकारी हुई और उन्होंने मरीज की फाइल मंगाकर जानकारी ली। उन्होंने बताया कि महिला का बीपी काफी अधिक बढ़ गया था। वहीं हल्के झटके भी आ रहे थे। जो प्री एलेक्सिया का लक्षण होता है। इसलिए उसे रिफर कर किया गया। हालांकि ऐसे मामले में कई बार नार्मल डिलेवरी हो जाती है, लेकिन रिस्क नहीं ले सकते। इसलिए दूसरी जगह रिफर करना पड़ता है।