script150 की थाली में पौष्टिक आहार के नाम पर केवल दाल-भात, रोटी तक नहीं देते, मिनरल वॉटर और फल तो केवल कागजों में | In the name of nutritious food in a plate of 150, only pulses and rice | Patrika News
जांजगीर चंपा

150 की थाली में पौष्टिक आहार के नाम पर केवल दाल-भात, रोटी तक नहीं देते, मिनरल वॉटर और फल तो केवल कागजों में

सरकारी अस्पतालों में भर्ती मरीजों को पहले से ज्यादा पौष्टिक आहार मिले, इसके लिए शासन के द्वारा अब प्रति मरीज प्रतिदिन का १५० रुपए भुगतान कर रही है। मगर इसके बाद भी मरीजों को पौष्टिक आहार तो दूर थाली में सही ढंग से दाल-चावल सब्जी और रोटी तक नसीब नहीं हो रही है। पौष्टिक आहार के नाम पर मरीजों को मुट्ठी भर भात और दाल-सब्जी ही परोस दी जा रही है।

जांजगीर चंपाMay 27, 2023 / 09:21 pm

Anand Namdeo

150 की थाली में पौष्टिक आहार के नाम पर केवल दाल-भात, रोटी तक नहीं देते, मिनरल वॉटर और फल तो केवल कागजों में

150 की थाली में पौष्टिक आहार के नाम पर केवल दाल-भात, रोटी तक नहीं देते, मिनरल वॉटर और फल तो केवल कागजों में

जांजगीर-चांपा. मिनरल वॉटर और मौसमी फल तो केवल कागजों में ही बंट रहा है। हकीकत तो यह है कि मरीजों को रोटी तक नसीब नहीं हो रही। ये हाल जिले के सबसे बड़े सरकारी जिला अस्पताल जांजगीर का है। यहां मरीजों के खाना में ठेकेदार के द्वारा खुलेआम डाका डाला जा रहा है। वहीं अस्पताल प्रबंधन को शायद इससे कोई मतलब नहीं है कि मरीजों को कैसा खाना परोसा जा रहा है तभी तो उनके आंखों के सामने ही इस तरह खुलेआम लापरवाही चल रही है वो भी एक दिन नहीं बल्कि रोज। शुक्रवार को पत्रिका की टीम ने दोपहर के खाने का समय जाकर पड़ताल की और मरीजों से बात की जिसमें सभी मरीज और परिजनों ने बताया कि आज पानी का बोतल नहीं दिया गया है। खाने में दाल-चावल सब्जी है। बाराद्वार से यहां आए परिजनों ने बताया कि पानी खुद से भरकर लाए हैं। इसी तरह एक मरीज के परिजन की थाली में रोटी ही नहीं थी। पूछने पर बताया कि रोटी नहीं है कहकर दाल-चावल और सब्जी की थाली ही पकड़ा दी।
मेन्यु का ५० फीसदी भी पालन नहीं
शासन ने १५० रुपए के हिसाब से मरीज को सप्ताह में कब और कितने समय क्या आहार देना है, बकायदा इसकी सूची भी सभी अस्पतालों को उपलब्ध कराई है। जिला अस्पताल में ऐसी ही सूची चस्पा की गई है लेकिन यहां ५० प्रतिशत भी मेन्यु के हिसाब से मरीजों को खाना नहीं परोसा जा रहा। दाल-चावल सब्जी तक ही मरीजों को नसीब हो रही है। दो टाइम १-१ लीटर बोतलबंद पानी देना है जो कभी-कभार ही मरीजों को मिलता है। मौसमी फल, बेसन लड्डू, सोनपापड़ी, राजगीर लड्डू, मशरुम, राजमा, छोले मरीजों की थाली में कभी नजर नहीं आता।
दूध के नाम पर पानी….
मेन्यु के हिसाब से मरीजों को रोज २०० एमएल दूध देना है मगर यहां मरीजों को जो दूध दिया जा रहा है वह पानी की तरह पतला रहता है। मरीजों की माने तो पीने में दूध की जगह पानी जैसा ही लगता है।
सामान्य मरीज को १५० व प्रसूता पर २५० रुपए खर्च
सरकार द्वारा सरकारी अस्पतालों में भर्ती होने वाले मरीजों को पौष्टिक आहार देने पानी की तरह पैसा बहा रही है। लेकिन इसे भी कमाई का जरिया बना लिया गया है। शासन के अनुसार, सामान्य मरीज के लिए १५० और प्रसूता महिलाओं को २५० रुपए की दर से भुगतान शासन कर रही है। पहले यह राशि १०० और १५० रुपए थी। राशि बढ़ा देने के बाद भी संचालन करने वाले मरीजों का हक मार रहे हैं और अपनी जेब भर रहे हैं।
ये केवल कागजों में परोस रहे
नाश्ता में इडली-सांभर, मौसमी फल, दूध, अंडा, चाय, बिस्किट, अंकुरित चना, मूंग, स्पीट कार्न, दोपहर खाने में चावल, दाल, २ रोटी, सब्जी, एक लीटर बोतलबंद पानी, बेसन लड्डू, सोनपापड़ी, राजगीर लड्डू, इवनिंग में फूटा चना, मुर्रा, फल्ली, टमाटर सूप, एक लीटर पानी बोतल आदि खाद्य सामग्री मरीजों को थाली में शामिल करना है। लेकिन ये केवल मेन्यु की ही शोभा बढ़ा रहा है। इनमें से एकाध खाद्य सामग्री देकर खानापूर्ति की जा रही है। बाकी खाद्य सामग्री मरीजों की थाली से गायब रहता है।

तय मेन्यु के अनुसार मरीजों को खाना दिया जाना है। अगर पालन नहीं कर रहे हैं गलत है, संबंधित को नोटिस जारी करेंगे। मरीजों और परिजनों को जानकारी हो इसीलिए अस्पताल में मेन्यु सूची भी लगाई गई है ताकि लापरवाही न कर सके। मरीजों को भी इसकी शिकायत करनी चाहिए।
डॉ.एके जगत, सिविल सर्जन
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