क्या आप भी उसे कर रहे ऐसा क्रीम ?.. नकली प्रोडक्ट की जमकर हो रही मार्केटिंग, आप बरतें सावधानी
बीते तीन साल में यहां 940 ऐसे नवजातों की जान बचाई गई है जो जन्म के दौरान काफी कमजोर रूप से पैदा हुए थे और गंभीर थे। एसएनसीयू में हर साल तकरीबन 450 से 500 की संख्या में इस तरह के प्री-मेच्योर नवजात भर्ती हो रहे हैं। जिसमें ने 80 फीसदी नवजातों का सफल ट्रीटमेंट हो रहा है। वहीं मात्र 2 प्रतिशत नवजातों की ही जान नहीं बच पा रही है। इस हिसाब से देखे तो यहां भर्ती होकर स्वस्थ होने वाले बच्चों के आंकड़े अच्छे हैं।
ऑपरेशन के लिए दो हार्ट सर्जन, लेकिन एनेस्थेटिस्ट, परफ्यूजिनिस्ट व फिजिशियन असिस्टेंट नहीं
प्राइवेट अस्पतालों में 15 से 20 हजार तक खर्च… निजी अस्पतालों में इस तरह के इलाज के लिए एक दिन का खर्च ही 2 से 4 हजार रुपए तक आता है। अधिकांश मामलों में नवजात बच्चों को कम से कम 5 से 6 दिन तक भर्ती करना ही पड़ता है। इस तरह 6 दिन भी नवजात को रखना पड़ा तो 12 से 15 हजार रुपए फीस चुकानी पड़ती है। ऐसे में गरीब परिवारों के लिए ऐसी नौबत आने पर आर्थिक समस्या खड़ी हो जाती है। वहीं जिला अस्पताल में विशेष नवजात शिशु देखभाल इकाई में यह इलाज पूरी तरह से मुफ्त मिल रहा है।