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जांजगीर चंपा

त्योहारी सीजन आने से पहले लगने लगे लाखों का दांव

हर गांवों में जुआरियों का कारोबार

जांजगीर चंपाOct 13, 2018 / 05:10 pm

JYANT KUMAR SINGH

हर गांवों में जुआरियों का कारोबार

हर गांवों में जुआरियों का कारोबार

जांजगीर-चांपा. त्योहारी सीजन आते ही जुआरी सक्रिय हो गए हैं और हर गांवों में जुआरियों का कारोबार शुरू हो चुका है। ऐसे लोगों पर शिकंजा कसने पुलिस ने पैनी नजर रखना शुरू कर दी है। चारों ओर मुखबिर के जाल बिछाए जा रहे हैं, ताकि ऐसे सामाजिक बुराई पर नकेल कसा जा सके।
हालांकि अभी दिवाली को माह भर शेष है, लेकिन ग्रामीण अंचलों में दांव लगने की सूचना पुलिस को मिल रही है। कई स्थानों में पुलिस छापेमारी करने की योजना बना रही है, लेकिन पुख्ता सूचना नहीं मिलने के कारण छापेमारी नहीं हो पा रही है।

धन की देवी लक्ष्मी का त्योहार दीपावली को अब माह भर से भी कम रह गया है। इस त्योहार में धन दुगुना करने यानी जुआं में दांव लगाने वालों की संख्या गांवों में अधिक रहती है। जुआ खेलाने वालों का गैंग पूरी तरह से कमर कसकर तैयार हो चुका है। एक दशक पहले जुआ खेलाने वाले का गैंग पहले थानेदार से सेटिंग कर महीना बंधाते थे,
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लेकिन अब यह परंपरा खत्म हो चुकी है, क्योंकि पहले की अपेक्षा तेज तर्रार पुलिसिंग हो रही है। इसके चलते थानेदारों को महीना बधाने में डर सताते रहता है, हालांकि अभी भी कई स्थानों में गोपनीय रूप से जुआं हो रहा है, लेकिन इसकी सूचना पुलिस तक नहीं मिल पा रही है। जिले जुआरियों का जहां जहां फड़ संचालित होता है वहां वहां बड़ी संख्या में जुआरी दांव लगाने पहुंचते हैं। जुआ के फड़ में जांजगीर, रायगढ़, कोरबा और बिलासपुर के जुआरी बाइक और फोरव्हीलर में पहुंचते हैं। बाइक वाले जुआरी तो अपनी बाइक सीधे मौके पर ले जाते हैं, लेकिन फोरव्हीलर वाले जुआरियों को जंगल के बाहर वाहन छोडऩा पड़ता है।


मोबाइल के इशारे पर पूरा काम
जंगल के मुहाने से लेकर घरों तक तकरीबन आधा दर्जन वॉच मेन तैनात रहते हंै, जो जुआ खेलाने वाले को मोबाइल पर लाइव रिपोॢटंग करते हंै। किसी भी संदिग्ध व्यक्ति के जंगल में या फिर घरों तक घुसने की ताजा जानकारी जुआ संचालक को मोबाइल पर उपलब्ध हो जाती है। दिलचस्प बात यह है कि वॉचमेन अपने हर जुआरी ग्राहकों को पहचानता है। बिना पहचान का व्यक्ति जंगल के अंदर घुसते ही जुआरी तीतर बीतर हो जाते हैं।


खाने पीने सहित तमाम सुविधा
जुआ अड्डे में जुआरियों के लिए सारी व्यवस्थाएं रहती हैं। नानवेज खाने वाले को मटन, चीकन भी मौके पर ही उपलब्ध कराया जाता है। भोजन के बदले जुआरियों को कीमत अदा करनी पड़ती है। मौके पर गुटका, पाउच और शराब भी उपलब्ध होता है। जुआरी दांव लगाते हंै और जब उसे जिस चीज की जरूरत होती है वह मिल जाता है। शाकाहारी जुआरियों के लिए बाकायदा खीर पुड़ी की व्यवस्था की जाती है वहीं मांसाहारियों को मांसाहारी भोजन दिया जाता है।


साहूकार भी उपलब्ध
जुआरी अगर मौके पर जुआ में पैसे हार जाता है तो उसे साहूकार ब्याज में पैसे भी उपलब्ध करा देता है। बताया जाता है कि जुआरी को 10 प्रतिशत प्रति दिन के हिसाब से यहां ब्याज पर पैसा मिलता है। साहूकार अपने परिचित को बिना किसी सामान के पैसे उपलब्ध करा देता है। लेकिन अपरिचित को वाहन या अन्य सामान गिरवी रखना पड़ता है।


-एक दो स्थानों में जुआ चलने की सूचना हमें मिली थी। कुछ स्थानों में छापेमारी भी की गई थी, लेकिन जुआरी भाग निकले। इन दिनों अवैध शराब पकडऩे पर नजर है।
-मुकेश पांडेय, क्राइम ब्रांच प्रभारी
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