धन की देवी लक्ष्मी का त्योहार दीपावली को अब माह भर से भी कम रह गया है। इस त्योहार में धन दुगुना करने यानी जुआं में दांव लगाने वालों की संख्या गांवों में अधिक रहती है। जुआ खेलाने वालों का गैंग पूरी तरह से कमर कसकर तैयार हो चुका है। एक दशक पहले जुआ खेलाने वाले का गैंग पहले थानेदार से सेटिंग कर महीना बंधाते थे,
मोबाइल के इशारे पर पूरा काम
जंगल के मुहाने से लेकर घरों तक तकरीबन आधा दर्जन वॉच मेन तैनात रहते हंै, जो जुआ खेलाने वाले को मोबाइल पर लाइव रिपोॢटंग करते हंै। किसी भी संदिग्ध व्यक्ति के जंगल में या फिर घरों तक घुसने की ताजा जानकारी जुआ संचालक को मोबाइल पर उपलब्ध हो जाती है। दिलचस्प बात यह है कि वॉचमेन अपने हर जुआरी ग्राहकों को पहचानता है। बिना पहचान का व्यक्ति जंगल के अंदर घुसते ही जुआरी तीतर बीतर हो जाते हैं।
खाने पीने सहित तमाम सुविधा
जुआ अड्डे में जुआरियों के लिए सारी व्यवस्थाएं रहती हैं। नानवेज खाने वाले को मटन, चीकन भी मौके पर ही उपलब्ध कराया जाता है। भोजन के बदले जुआरियों को कीमत अदा करनी पड़ती है। मौके पर गुटका, पाउच और शराब भी उपलब्ध होता है। जुआरी दांव लगाते हंै और जब उसे जिस चीज की जरूरत होती है वह मिल जाता है। शाकाहारी जुआरियों के लिए बाकायदा खीर पुड़ी की व्यवस्था की जाती है वहीं मांसाहारियों को मांसाहारी भोजन दिया जाता है।
साहूकार भी उपलब्ध
जुआरी अगर मौके पर जुआ में पैसे हार जाता है तो उसे साहूकार ब्याज में पैसे भी उपलब्ध करा देता है। बताया जाता है कि जुआरी को 10 प्रतिशत प्रति दिन के हिसाब से यहां ब्याज पर पैसा मिलता है। साहूकार अपने परिचित को बिना किसी सामान के पैसे उपलब्ध करा देता है। लेकिन अपरिचित को वाहन या अन्य सामान गिरवी रखना पड़ता है।
-एक दो स्थानों में जुआ चलने की सूचना हमें मिली थी। कुछ स्थानों में छापेमारी भी की गई थी, लेकिन जुआरी भाग निकले। इन दिनों अवैध शराब पकडऩे पर नजर है।
-मुकेश पांडेय, क्राइम ब्रांच प्रभारी