इंसान मोक्ष तक पहुंचता है, तो उसको अपने अंत समय में विशेष संतुष्टि की प्राप्ति होती है। ज्ञान के संबंध में बताया कि इसका मतलब साक्षर होना नहीं है, बल्कि तर्क करने की क्षमता का विकास ही ज्ञान है। उन्होंने बताया कि चार वेदों के साथ उपनिषदों में भी ज्ञान से मोक्ष तक की बातें कही गई है, जिसका आशय शिक्षा लेकर विद्यान बनना और मृत्यु को प्राप्त करना तक सीमित कर दिया गया है, जबकि इंसान को ज्ञान की प्राप्ति के बाद अपना भी योगदान देना जरूरी है। शिक्षा केवल स्कूल, कॉलेजों में नहीं मिलती, यह तो इंसान कहीं भी किसी भी स्थिति परिस्थिति से प्राप्त कर सकता है।
#Topic Of The Day- उपभोक्ता हितों के संरक्षण के लिए सबको आना होगा सामने : सिंह चार वेदों के साथ उपनिषदों में भी ज्ञान से मोक्ष तक की बातों को उन्होंने गौतम बुद्ध के सूत्र वाक्य बुद्धम शरणम गच्छामि से जोड़कर बताया। बुद्धम शरणम गच्छामि का आशय बुद्धि की शरण में जाने से है। इसी तरह उन्होंने डॉ. भीमराव अंबेडकर के शिक्षा को लेकर किए गए प्रयासों को भी इसी कड़ी का हिस्सा बताया।
उन्होंने वर्तमान दौर के स्कूली शिक्षा को नाकाफी बताते हुए कहा कि इसमें बहुत सुधार की आवश्यकता है। उनका मानना है कि स्कूलों में काबिल शिक्षकों की जरूरत है और वर्तमान में जो शिक्षक
कार्य कर रहे हैं, उनमें काबिलियत तो है, लेकिन विभिन्न शासकीय व व्यक्तिगत कारणों से वे अपनी काबिलियत का उपयोग नहीं कर रहे हैं। उन्होंने शिक्षकों से आग्रह किया कि उनकी परिस्थितियां चाहे कुछ भी हो, पर बच्चों के भविष्य को देखते हुए पूरे मनोयोग से अपनी क्षमता पूर्वक अध्यापन कराएं, जिससे देश का भविष्य सुरक्षित हो सके।