लाख कोशिश व केन्द्र व राज्य सरकार द्वारा लाखों रुपए खर्च करने के बाद भी जिले में टीबी के मरीजों की संख्या कम होती दिखाई नहीं दे रही है। वहीं मरीजों के लिए डॉट्स दवाएं भी निशुल्क उपलब्ध कराई जाती है। इन तमाम कवायद के बावजूद जिले में टीबी पीडि़तों की संख्या में कमी आने की बजाय तेजी से बढ़ी है।
Corona: मास्क और सैनेटाइजर आवश्यक वस्तु अधिनियम में शामिल, जिला अस्पताल में 30 बेड का क्वारेंटाइन सेन्टर बना आंकड़ों पर गौर करें तो 2019 में 10 हजार 454 लोगों जांच की गई। इनमें से 16 सौ 75 मरीज पॉजीटिव मिले। वर्तमान में सभी का उपचार जारी है। इनमें से 92 की मौत भी हो गई। वहीं जनवरी व फरवरी 2020 में 230 मरीज सामने पॉजीटिव आए हैं। ये तो महज सरकारी आंकड़े हैं, जो स्वास्थ्य केन्द्र में उपचार के दौरान सामने आए हैं।
वास्तविक आंकड़े और भी चौकाने वाले हो सकते है। वहीं हर वर्ष विभाग 80 प्रतिशत से आगे सफल इलाज नहीं हो पाता। डॉक्टरों के अनुसार टीबी के मरीजों में रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाता है। इसलिए उसे कारोना वायरस के संक्रमण होने की संभावना अधिक है। ऐसे मरीज सावधानी बरतें और ज्यादा से ज्यादा हो सके तो घर में ही दवाई लेकर रहे। जिला अस्पताल के डॉक्टर अनिल जगत ने बताया कि देश में हर साल डेढ़ लाख लोगों की मौत टीबी से होती है। ऐसे में टीबी मरीजों को कोरोना वायरस को लेकर ज्यादा सावधानी बरतने की जरूरत है।
प्रायवेट में 14 माह में 729 पॉजीटिव
प्रायवेट अस्पताल में भी संख्या बढ़ रही है। 2019 में जिले के प्रायवेट अस्पतालों में 641 मरीज टीबी के पॉजीटिव मिले है। इसी तरह जनवरी व फरवरी माह में 88 मरीज सामने आ गए हैं। टीबी के मरीजों की संख्या घटने के बजाय लगातार बढ़ रहे हैं।
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दो सप्ताह से अधिक समय तक लगातार खांसी रहने, खांसते समय खखार में खून आना, शरीर का वजन लगातार कम होना। भूख नहीं लगना सहित अन्य हैं।
बचाव के लिए क्या करें
टीबी के बचाव के लिए घर से बाहर आते-जाते समय गर्म पानी पीएं। इससे गला साफ रहेगा। दुपहिया वाहन पर चलते समय शरीर को ढंककर चलें। कमरे में हीटर के पास बैठे हैं तो तुरंत बाहर नहीं निकले। खांसी व जुकाम है तो जांच करवाएं। खांसी के साथ अधिक बलगम आ रही है तो नजदीकी सरकारी अस्पताल पहुंचकर डॉक्टर की सलाह से दवाई लें ताकी बीमारी से बचा जा सके।
सर्दी के मौसम में ज्यादा बढ़ते है मरीज
जिला टीबी यूनिट के अनुसार सर्दी के मौसम में बच्चों व बुजुर्गो के अलावा धुम्रपान करने वालों की सांस की नली जाम होने की संभावना अधिक बढ़ जाता है। उन्हें पहले खांसी व जुकाम होता है। फिर निमोनिया के लक्षण दिखाई देते है समय पर इलाज नहीं होने से टीबी की संभावना हो जाती है। इस मौसम में टीबी के कीटाणु अधिक फैलने का खतरा रहता है। समय पर उपचार से ही इससे बचा जा सकता है।
-संक्रमित रोग से पीडि़त मरीजों की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होती है। इसलिए उनमें कोरोना वायरस का ज्यादा खतरा है। मरीजों की स्क्रीनिंग व जांच की जा रही है। टीबी पॉजिटिव मरीजों का इलाज दिया जा रहा है। कोरोना से बचाव के लिए लोगों को जागरूक कर रहे हैं। डॉ. बीपी कुर्रे, सीएस, जिला अस्पताल