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जांजगीर चंपा

जर्वे रेस्टहाउस को पर्र्यटन स्थल बनाने का मामला ठंडे बस्ते में

कंट्रोल रूम जर्वे रेस्टहाउस को पर्यटन स्थल बनाने का मामला ठंडे बस्ते में पड़ गई है। पूर्व कलेक्टर ने यहां दौरा कर इसकी मंजूरी दी थी, लेकिन तीन कलेक्टर बदलने के बाद भी यहां फूटी कौड़ी भी नहीं दी गई। जबकि यहां के 55 साल पहले बना भवन पूरी तरह से जर्जर हो चुका है।

जांजगीर चंपाFeb 04, 2024 / 09:46 pm

Sanjay Prasad Rathore

जर्वे रेस्टहाउस को पर्र्यटन स्थल बनाने का मामला ठंडे बस्ते में

जर्वे रेस्टहाउस को पर्र्यटन स्थल बनाने का मामला ठंडे बस्ते में

इसे भी नए सिरे से बनाने के लिए तकरीबन एक करोड़ रुपए खर्च करने की बात कही गई थी। लेकिन यह मामला भी ठंडे बस्ते में चली गई। इसके चलते यह स्थल दिन ब दिन वीरान होते जा रहा है। आपको बता दें कि कंट्रोल रूम जर्वे रेस्टहाउस पिकनिक स्पॉट की तरह अपनी पहचान बना चुका है। यहां मुख्य नहर से दो दिशाओं में नहर की धार को मोड़ा जाता है। इसके लिए इस स्थान को कंट्रोल रूम कहते हैं। कंट्रोल रूम के पास हरे भरे छांव दार पेड़ पौधों का भंडार है। जहां पर लोग बड़ी तादात में पिकनिक मनाने पहुंचते हैं। पूर्व कलेक्टर नीरज कुमार बनसोड़ ने यहां का मौका मुआयना कर पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने की बात कही थी। साथ ही यहां के जर्जर भवन को डिस्मेंटल कर नए सिरे से एक करोड़ रुपए में बनाने की बात कही थी, लेकिन उनका स्थानांतरण होने के बाद इस दिशा में किसी ने ध्यान नहीं दिया। न ही सिंचाई विभाग के अधिकारियों ने इस ओर मुड़कर देखा। ऐसे में यह भवन न तो नई बन पाई और न ही जर्जर भवन को संवारने कोई ध्यान दिया। जिसके चलते यह स्पॉट अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहा है। यहां के पेड़ पौधे टूटकर गिर रहे हैं। हरियाली भी धूमिल होते जा रही है। ऐसे में यहां को पर्यटन स्थल बनाने की योजना ठंडे बस्ते में पड़ गई है।

प्रभारी ने कहा जेब से खर्च करनी पड़ती


कंट्रोल रूम जर्वे रेस्टहाउस के प्रभारी जितेंद्र कुमार गुप्ता ने बताया कि जर्जर भवन की मरम्मत वे खुद की जेब से करते खर्च करते हैं। इससे पहले वे जर्जर भवन को संवारने के लिए कई हजार रुपए खर्च कर चुके हैं। इसका बिल भी जिला मुख्यालय के कार्यालय में जमा किए हैं लेकिन वह स्वीकृत नहीं हुआ है। यहां के कई काम को ठीक करने के लिए जेब से खर्च करनी पड़ती है।

कंट्रोल रूम जर्वे रेस्टहाउस को संवाने के लिए हमारे पास किसी तरह का बजट नहीं है। बजट मिलने के बाद वहां जरूरी संसाधन बढ़ाने कोशिश की जाएगी।
– अर्जुन लाल कुर्रे, ईई सिंचाई विभाग

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