दहशत में रहते हैं बच्चे और शिक्षक सहित अभिभावक: गांव के बच्चों के अभिभावकों का कहना है कि खपरैल के इस विद्यालय का 40 साल लगभग हो गया, कितना मरम्मत करेंगे। कक्ष के सभी कमरों का मयार टूट चुका है बीच में खम्भा लगाकर टिकाया गया है। बच्चों और स्कूल के शिक्षकों का कहना है कि कमरों के कई बल्ली टूट चुकी है। प्राथमिक शाला के इस जर्जर भवन में थोड़ी सी भी बारिश होने से दिन भर पानी टपकता रहता है। एक कक्ष में ही स्कूल के समस्त सामग्री को रखकर पढ़ाई किया जाता है। स्थानीय अभिभावक बारिश से पहले खपरे को फेर देते हैं। ताकि उनके बच्चे सुरक्षित पढ़ाई कर सकें। जहां अत्यधिक जर्जर और पानी टपकने जैसे जगह होते हैं वहां प्लास्टिक तिरपाल लगाकर विद्यालय भवन को ग्रामीण ही बचा कर रखे हैं।
शौचालय, बॉउंड्रीवाल, रसोई कक्ष भी नहीं: एक तरफ सरकार शिक्षा के व्यवस्था को बेहतर करने कई प्रकार के योजना बना रही है ताकि विद्या प्राप्त करने वाले बच्चों को किसी प्रकार का परेशानी न हो और बच्चे सुरक्षित विद्या ग्रहण कर सकें। लेकिन सरकार के योजना से इस संस्था में शौचालय, बॉउंड्रीवाल, रसोई कक्ष जैसे मूलभूत सुविधा से कोसों दूर और मोहताज है। इस विद्यालय में छोटा सा एक कक्ष है जिसमे मध्यान भोजन बनाया जाता है। बरसात के दिनों में पानी अत्यधिक टपकने के कारण खपरे के ऊपर प्लास्टिक लगा दिया गया है। मुख्यमार्ग से सटे होने के बावजूद बाउंड्रीवाल नही है इस मार्ग से प्रतिदिन सैकड़ों छोटे बड़े गाडिय़ों का आना जाना रहता है। कभी कभी प्राथमिक शाला के बच्चों को सडक़ किनारे भी खेलते हुए देखा जाता है। वहीं शौचालय भी नही रहने के कारण बच्चों को स्कूल भवन के चारों ओर पौधों के झुंडों आदि में घूमते हुए देखा गया जाता है। स्कूल परिसर क्षेत्र पथरीली एवं छोटे छोटे पौधों से घिरा हुआ है। बच्चे क्या जानते हैं कब क्या हो जाएगा सभी जगह खेलते नजर आते हैं।
नए भवन निर्माण का हो रहा इंतजार: शिक्षा के इस मंदिर में भविष्य निर्माण कर रहे बच्चे भी पक्के मकान में और सुरक्षित पढ़ाई करने के सपने देख रहे हैं। क्योंकि इसी ग्राम के अन्य विद्यालयों में पढ़ रहे बच्चे अपने अपने स्कूलों के बारे में बातें करते होंगे तो कितना खऱाब लगता होगा यह बात तो खुद भी सोच सकते हैं। स्कूल भवन की जर्जर स्थिति देख इस संस्था में दिन प्रतिदिन दर्ज भी कम होते जा रहे हैं। अगर जल्द इस विद्यालय को न सुधारा गया तो यहां की दर्ज और कम हो जाएगी।
शौचालय, बॉउंड्रीवाल, रसोई कक्ष भी नहीं: एक तरफ सरकार शिक्षा के व्यवस्था को बेहतर करने कई प्रकार के योजना बना रही है ताकि विद्या प्राप्त करने वाले बच्चों को किसी प्रकार का परेशानी न हो और बच्चे सुरक्षित विद्या ग्रहण कर सकें। लेकिन सरकार के योजना से इस संस्था में शौचालय, बॉउंड्रीवाल, रसोई कक्ष जैसे मूलभूत सुविधा से कोसों दूर और मोहताज है। इस विद्यालय में छोटा सा एक कक्ष है जिसमे मध्यान भोजन बनाया जाता है। बरसात के दिनों में पानी अत्यधिक टपकने के कारण खपरे के ऊपर प्लास्टिक लगा दिया गया है। मुख्यमार्ग से सटे होने के बावजूद बाउंड्रीवाल नही है इस मार्ग से प्रतिदिन सैकड़ों छोटे बड़े गाडिय़ों का आना जाना रहता है। कभी कभी प्राथमिक शाला के बच्चों को सडक़ किनारे भी खेलते हुए देखा जाता है। वहीं शौचालय भी नही रहने के कारण बच्चों को स्कूल भवन के चारों ओर पौधों के झुंडों आदि में घूमते हुए देखा गया जाता है। स्कूल परिसर क्षेत्र पथरीली एवं छोटे छोटे पौधों से घिरा हुआ है। बच्चे क्या जानते हैं कब क्या हो जाएगा सभी जगह खेलते नजर आते हैं।
नए भवन निर्माण का हो रहा इंतजार: शिक्षा के इस मंदिर में भविष्य निर्माण कर रहे बच्चे भी पक्के मकान में और सुरक्षित पढ़ाई करने के सपने देख रहे हैं। क्योंकि इसी ग्राम के अन्य विद्यालयों में पढ़ रहे बच्चे अपने अपने स्कूलों के बारे में बातें करते होंगे तो कितना खऱाब लगता होगा यह बात तो खुद भी सोच सकते हैं। स्कूल भवन की जर्जर स्थिति देख इस संस्था में दिन प्रतिदिन दर्ज भी कम होते जा रहे हैं। अगर जल्द इस विद्यालय को न सुधारा गया तो यहां की दर्ज और कम हो जाएगी।