जिले के पानी की स्थिति देखें तो पीएचई विभाग और नगरपालिका दोनों ही विभागों को अपने अधीन आरहे जलस्त्रोतों की वर्तमान परिस्थितियों की कोई उपडेट जानकारी उपलब्ध नहीं। दोनों ही विभाग के अधिकारी यह मानते है कि संपूर्ण क्षेत्र में पानी की मांग अनलिमिटेड है। मांग के आधार पर पूर्ति करना संभव नहीं। वर्तमान आंकड़े के अनुसार पीएचई के अधीन कुल 13287 हैंडपंप संचालित है। नए खनन हैंडपंप के आंकड़े भी अपडेट नहीं है। हैंडपम्प की संख्या में 1 हजार 354 किसी न किसी कारण से बंद पड़े हंै। नगरपालिका के अनुसार शहर में 304 बोरिंग हैं। जिसने 28 4 पुराने एवं अ_ारह नए हैंडपंप खोदे गए। नगरपालिका के आंकड़ों में 19 हैंडपम्प बंद है।
पत्रिका की ग्राउंड रिपोर्ट के अनुसार मई माह समाप्त होने तक जिले के 40 प्रतिशत जल स्त्रोत दम तोड़ चुके हैं। शहर से सटे बाड़कुआं गांव के 6 हैंडपम्प में 5 बंद है। मेलपाड़ा, सजवानी छोटी, आमलिमाल, नल्दी, बामनसेमलिया, नेगडिय़ा, मोहनपुरा, देवझिरिपंडा, गोलाएपारा, ढेकल, पिपलिया , मेघनगर, डुंगराधन्ना, डूंगरा लालू, मण्डली नाथू गांव सहित दूरस्थ अंचलों का भी यही हाल है। गोपाल कॉलोनी, बसंत कॉलोनी, बिलीडोज, मौजीपड़ा, माधोपुरा, चर्च मोहल्ला, रामदास कॉलोनी, उदेपुरिया, कुम्हारवाड़ा, वनवासी आश्रम, रातीतलाई, मुख्यबाजार, कॉलेज मार्ग सभी क्षेत्रों में 45 से अधिक हैंडपम्प बंद हैं। शहर भर में निजी बोरिंग के आंकड़े भी उपलब्ध नहीं हैं। जिले भर में हो रही सभी वैध-अवैध बोरिंग के कारण जल स्तर में चिंताजनक कमी आई है।
जिले में प्लास्टिक बेग खेतों को बंजर बना रहे है। ट्रेचिंग ग्राउंड पर जैविक खाद बनाने में लाखों खर्च किया, लेकिन खर्च किए रुपयों का उपयोग होने की जगह रहवासियों को धुंए, बदबू के अतिरिक्त प्लास्टिक बेग उड़कर खेतों में पहुंचने से चारोलीपाड़ा के किसानों की मुसीबत बढ़ गई है। जल स्त्रोतों के आसपास साफ -सफाई का अभाव भी बीमारियां फैला रहा है।
मांग के आधार पर पूर्ति करना संभव नहीं : जिले के पानी की स्थिति देखें तो पीएचई विभाग और नगरपालिका दोनों ही विभागों को अपने अधीन आ रहे जलस्त्रोतों की वर्तमान परिस्थितियों की कोई उपडेट जानकारी उपलब्ध नहीं। दोनों ही विभाग के अधिकारी यह मानते है कि संपूर्ण क्षेत्र में पानी की मांग अनलिमिटेड है। मांग के आधार पर पूर्ति करना संभव नहीं। वर्तमान आंकड़े के अनुसार पीएचई के अधीन कुल 13287 हैंडपंप संचालित है। नए खनन हैंडपंप के आंकड़े भी अपडेट नहीं है। हैंडपम्प की संख्या में 1 हजार 354 किसी न किसी कारण से बंद पड़े हंै। नगरपालिका के अनुसार शहर में 304 बोरिंग हैं। जिसने 28 4 पुराने एवं अ_ारह नए हैंडपंप खोदे गए। नगरपालिका के आंकड़ों में 19 हैंडपम्प बंद है।
प्लास्टिक बैग खेतों को बंजर बना रहे : जिले में प्लास्टिक बेग खेतों को बंजर बना रहे है। ट्रेचिंग ग्राउंड पर जैविक खाद बनाने में लाखों खर्च किया, लेकिन खर्च किए रुपयों का उपयोग होने की जगह रहवासियों को धुंए, बदबू के अतिरिक्त प्लास्टिक बेग उड़कर खेतों में पहुंचने से चारोलीपाड़ा के किसानों की मुसीबत बढ़ गई है। जल स्त्रोतों के आसपास साफ -सफाई का अभाव भी बीमारियां फैला रहा है।
& लोगों को मौसम नहीं मारता, बल्कि गरीबी और लाचारी जो उन्हें प्रतिकूल मौसम में बाहर निकलने को मजबूर कर देती है। ुझुलसा देने वाली गर्मी को प्राकृतिक आपदा मानने का कोई प्रावधान सरकारी नियम-कायदों में नहीं है। बस एडवाइजरी जारी कर देती हैं कि लोग गर्मी के प्रकोप से बचने के लिए यह करें और यह न करें।
डॉ. नवीन बामनिया,
पर्यावरण प्रेमी व शिशुरोग विशेषज्ञ।