जेल में कैदियों से संवाद, पुलिस की कार्यशैली पर उठाए सवाल
राष्ट्रीय मानवाधिकार एवं महिला बाल विकास आयोग
जेल में कैदियों से संवाद, पुलिस की कार्यशैली पर उठाए सवाल
झाबुआ. राष्ट्रीय मानवाधिकार एवं महिला बाल विकास आयोग की टीम पवन नाहर व मनीष कुमठ के नेतृत्व में जिला जेल पहुंची, जहां उन्होंने सीधे कैदियों से जन संवाद किया। जिला जेल परिसर के विशेष सभागृह में आयोजित कार्यक्रम में सजा काट रहे कैदियों ने अपनी समस्याओं का जिक्र करते हुए पुलिस की कार्यवाही पर भी प्रश्नचिह्न लगाया। आचार संहिता के दौरान कुछ पूर्व सजायाफ्ता लोगों को पुलिस ने उठा लिया था, ऐसे लोग भी वहां मौजूद थे। झाबुआ का ही जितेन्द्रसिंह राठौड़, नारन्दा का वेलसिंह, झाबुआ का मुकेश जयसिंह, थान्दला का पप्पू पूनमचंद मेड़ा, झाबुआ का जेवियर, अमलिफलिया का नानू सहित विभिन्न स्थानों के विभिन्न आपराधिक प्रकरणों में आए कैदियों ने अपनी समस्या बताई। उन्होंने अधिकांश आपराधिक कारणों में पारिवारिक रंजिश और पुलिसिया कार्यवाही को दोषी ठहराया। पवन नाहर ने साफ तौर पर कहा कि पुलिस सभी की सुरक्षा के लिए ही है और कानून अपराधियों को दंड देने के लिए ही है। जेल उस दंड को भोगने के लिए है इसलिए वह तो अब भोगना ही है, लेकिन आगे का सुधारा कैसे हो इसके प्रयास जरूरी है। उन्होंने सभी को सुधरने का संकल्प दिलवाया। वहीं वरिष्ठ पत्रकार अतिथि मनीष गिरधाणी ने देश के शहीद रणबांकुरों की याद दिलाते हुए सभी कैदियों संग स्टाफ को 2 मिनट का मौन करवाया। विशेष अतिथि के रूप में उपस्थित प्रतीक मेहता व सलिम शेरानी ने विभिन्न आपराधिक धाराओं के उल्लेख करते हुए उन्हें विधिक जानकारी भी दी। शेरानी ने कहा कि जब ये लोग जेल में आते हंै तो कैदी बनकर आपस में रहते है तो एक-दूसरे की मदद करते हैं। अपनी चीजों को भी बांटते है और एक मिसाल की तरह मानवता का पाठ भी पढ़ाते हैं, लेकिन जब ये बाहर निकलकर जाते हैं, तो खुद ही भूल जाते हैं। यहीं वास्तव में जुर्म की दस्तक है। सभी को अपने ऊपर लगे अपराधों का सजा पूरी होने पर खात्मा करवाना चाहिए तभी वह पुलिस रिकार्ड में भी साफ छवि वाला होगा। समय समय पर पुलिस प्रशासन की मदद करने से उसकी आपराधिक छवि मिट जाएगी और वह मुख्य धारा में आम नागरिक की तरह बन जाएगा। कार्यक्रम में जेलर आरके विश्वकर्मा ने बताया कि जिला जेल अधिनियम के तहत ही कैदियों को रखा जा रहा है, उन्हें भोजन की मात्रा भी जेल के मीनू अनुसार जितनी मात्रा बताई गई है उतनी ही दी जा रही है। पानी और पंखे की मूलभत सुविधाओं पर भी उन्होंने अपना पक्ष रखा। कैदियों की मांग पर जिला जेल प्रबंधन की अनुशंषा पर समाजसेवी संस्था यदि दान दे तो वह स्वीकार्य है। उप जेलर सीएल परमार ने कहा कि सभी कैदियों से आज ही उनकी समस्याओं को लिखित में लिया जाएगा, जिसको अनुसंधान में लेकर उपस्थित संगठन को दिया जाएगा, जिससे वे इनकी नियमानुसार मदद कर सके। कार्यक्रम का संचालन पवन नाहर व मनीष कुमठ ने सभी उपस्थित सदस्यों का परिचय करवाते हुए जेल प्रबंधन का आभार माना।
इस अवसर पर राष्ट्रीय मानवाधिकार एवं महिला बाल विकास आयोग के प्रदेश उपाध्यक्ष अलीअजगर बोहरा, शाबिर मंसूरी, मनीष गिरधानी, एडव्होकेट प्रतीक मेहता, थान्दला अभिभाषक संघ अध्यक्ष सलीम शेरानी, जिलाध्यक्ष दौलत गोलानी, तहसील अध्यक्ष चन्द्रशेखर राठौर, गौरव अरोड़ा, जमनालाल चैधरी, राकेश पोतदार, विजय पटेल आदि उपस्थित थे।