must read : झंडावंदन के दौरान मंत्री के सामने आपस में उलझे कांग्रेसी, जिला कार्यवाहक अध्यक्ष ने करवाया चुप मामला ग्राम गोलाछोटी का है। गांव का नरवेसिंह पिता बापू डामोर (45) शुक्रवार सुबह करीब साढ़े 7 बजे ग्राम फुलधावड़ी में स्थित अपने खेत पर गया था। इस दौरान उसे सांप ने डंस लिया। वह बेहोश खेत पर पड़ा था। उसे ऐसा पड़ा देखकर किसी ने संजीवनी 108 के साथ उसके घरवालों को सूचना दी। लगभग साढ़े 9 बजे परिजन उसे लेकर जिला अस्पताल पहुंचे। यहां जांच के बाद डॉक्टर ने नरवेसिंह की मौत की पुष्टि कर दी और शव को पोस्टमार्टम के लिए भिजवा दिया। तब तक पुलिस ने पंचनामा बनाने के साथ मर्ग कायम कर लिया।
तीन दिन पहले भी काटा हो तो भी जिंदा कर देगा इसी दौरान किसी ने नरवेसिंह के घरवालों को यह बोल दिया कि गोधरा के पास एक तांत्रिक रहता है जो सांप के कांटे का शर्तिया इलाज करता है। यदि तीन दिन पहले भी सांप ने कांटा हो तो वह व्यक्ति को जिंदा कर सकता है। ऐसे में परिजन ने पोस्टमॉर्टम कराने की बजाए शव को गोधरा के तांत्रिक के पास ले जाने का निर्णय ले लिया। जब इस बात का पता पुलिसकर्मियों को चला तो उन्होंने इनकार कर दिया। पुलिसकर्मी बोले मर्ग कायम कर लिया है और पोस्टमार्टम के बाद ही शव सुपुर्द किया जाएगा। इस बात को लेकर दोनों पक्षों के बीच बहस शुरू हो गई।
must read : लड़के का मुंह कमोड में डालने वाले गुंडे मुख्तियार ने ससुराल में छिपा रखी थी पिस्टल तांत्रिक ने बोला- मैं कुछ नहीं कर सकता ऐसे में कुछ ग्रामीण एसडीओपी इडला मौर्य से मिलने पहुंच गए, लेकिन उन्होंने भी बिना पोस्टमॉर्टम के शव देने से मना कर दिया। साथ ही समझाया कि नरवेसिंह की मौत हो चुकी है और अब उसे कोई भी जिंदा नहीं कर सकता। तब परिजन ने गोधरा के उस तांत्रिक को कॉल किया। जब तांत्रिक को यह बताया कि नरवेसिंह की मृत्यु हो गई है तो उसने भी कह दिया कि अब शव लेकर यहां मत आओ। यदि व्यक्ति जिंदा होता तो वह जहर उतार सकता था। इसके बाद परिजन पोस्टमॉर्टम कराने के लिए तैयार हो गए।
इलाज की बजाय झाडफ़ूंक पर करते हैं भरोसा सर्पदंश के मामलों में ग्रामीण आज भी अस्पताल में उपचार कराने की बजाए झाडफ़ूंक पर ज्यादा भरोसा करते हैं। इसके चलते ही अधिकांश मामलों में सर्पदंश का शिकार व्यक्ति की मौत हो जाती है। जिला अस्पताल के आरएमओ डॉ.एसएस चौहान कहते हैं सर्पदंश के मामले में यदि तीन घंटे के भीतर व्यक्ति को अस्पताल पहुंचा दिया जाए तो उसके जिंदा रहने की संभावना बढ़ जाती है। झाड़-फूंक कराने के चक्कर में देरी होती है और व्यक्ति की मौत हो जाती है। ग्रामीणों को इस तरह के अंधविश्वास से बचना चाहिए।