scriptकपास की कम आवक से किसानों के साथ जिनिंग फैक्ट्रियों के संचालकों का चिंता में डाला | The concern of the operators of ginning factories with farmers due to | Patrika News
झाबुआ

कपास की कम आवक से किसानों के साथ जिनिंग फैक्ट्रियों के संचालकों का चिंता में डाला

पिछली साल इस समय प्रति सप्ताह एक व्यापारी 500 क्विंटल कपास खरीद रहा था, इस साल सभी व्यापारी मिलकर भी 500 से 700 क्विंटल नहीं खरीद रहे

झाबुआDec 08, 2019 / 05:54 pm

kashiram jatav

कपास की कम आवक से किसानों के साथ जिनिंग फैक्ट्रियों के संचालकों का चिंता में डाला

कपास की कम आवक से किसानों के साथ जिनिंग फैक्ट्रियों के संचालकों का चिंता में डाला

झाबुआ. कालीदेवी, झाबुआ और राणापुर की मंडी में डीसीएच कपास खराब आ रहा है। इस बार मौसम की वजह से कपास खऱाब हो गई। कपास की कम आवक से किसानों के साथ जिनिंग फैक्ट्रियों के संचालकों को भी चिंता सता रही है। प्रदेश में 40 से अधिक जिनिंग फैक्टरी है। इसमें 80 से 90 हजार क्विंटल कपास प्रतिदिन खपत होता है। मंडी में व्यापार कर रहे व्यापारियों ने बताया कि पिछली बार इस समय प्रति सप्ताह एक व्यापारी 500 क्विंटल कपास खरीद रहा थाए लेकिन इस वर्ष कपास की आवक ज्यादा नहीं है। मंडी में मौजूद सभी व्यापारी मिलकर भी 500 से 700 क्विंटल कपास भी नहीं खरीद रहे। इन्ससे जिले में संचालित जिनिंग फैक्ट्रियों को भी नुकसान हो रहा है। व्यापारी सौदा पत्रक बनाकर ही खरीद-फरोख्त करते हैं। आवक कमजोर होने के कारण मंडी राजस्व में कमी आई है।
छह हजार आठ सौ से सात हजार तक भाव-

अनाज व्यापारी अजय पुरोहित ने बताया, डीसीएच कपास का वर्तमान भाव छह हजार आठ सौ से सात हजार तक है। अगले सप्ताह भी कम आवक रही तो कपास का भाव 8 हजार भी हो सकता है। बारिश की वजह से फसलों में हुए नुकसान को देखते हुए इस वर्ष मंडी में कपास की आवक पिछले साल की तुलना में 20 प्रतिशत से भी कम आंकी जा रही है।
कपास की खरीदी शुरू नहीं हुई

अनाज व्यापारी संदीप जैन ने बताया कि जिले में तीन जगह थांदला, बामनिया, मेघनगर में जिनिंग फैक्ट्रियां संचालित की जा रही है। जहां प्रतिदिन एक हजार से दो हजार क्विंटल कपास की खपत होती है। रुई एवं कपासिया का भाव लगभग समान है। मंडी में कपास की कुल अवाक हजार क्विंटल भी नहीं पहुंची। भाव में तेजी के बाद भी बाजार नहीं है। डीसीएच कपास का शुरुआती दाम 7000 मंडी में कपास की आवक बढऩे के बाद भाव में कमी आएगी। सेंधवा के अंदर सबसे ज्यादा जिनिंग फैक्ट्री है, लेकिन अभी कपास का भाव तेज होने के कारण मालवा- निमाड़ अंचल में कपास की खरीदी शुरू नहीं की गई है।
कपास के बीज अभी तक नहीं फूटे
पिपलिया रहने वाला विनोद पिता मैसू ने बताया, मौसम में रात को ज्यादा ठंडक भी नहीं और दिन में ज्यादा गर्मी भी नहीं होने से कपास के बीज अभी तक नहीं फूटे हैं। मंडी में बिना बोली लगाए माल खरीदा जा रहा है। पिछले सप्ताह 15 क्विंटल कपास 6200 प्रति क्विंटल भाव में कपास बेचा। इस बार 7 हजार भाव मिल रहा है। कपास में फूल देर से आने से फसल पकने में भी देर होगी।
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