विभाग ने रोड चालू कराने के लिए कोई भी मापदंड नहीं अपनाया गया। सिर्फ चार से पांज बड़े खंभे लगा दिए । जो खंभे गड़े हुए हैं वह तो सिर्फ मिट्टी में दबे हुए ही दिखाई दे रहे हैं। अगर किसी वाहन का टक्कर लगते ही वह खंभे गिर जाएंगे । जबकि होना यह था कि उन्हें जमीन के अंदर गाड़ कर उनके ऊपर तार फेंसिंग करना चाहिए थी , ताकि वाहन चालकों को मालूम पड़ सके यहां पर कुआं है। , लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं हुआ। इस मार्ग पर सैकड़ों वाहनों की आवाजाही बनी रहती है बड़े-बड़े ट्रॉले लोडेड वाहन इस मार्ग से ही निकलते हैं । नवीन पुल बनने में करीबन छह से सात महीने लग सकते हैं। विभाग ने तो अपनी ओर से इतिश्री कर लिया है । ग्रामीणों का कहना है कि रात के अंधेरे में तो बिना मुंडेर वाला कुआं दिखता ही नहीं है। जब इस संबंध में संबंधित अधिकारियों से चर्चा करनी चाही तो किसी ने फ ोन रिसीव नहीं किया।