इनकी हो रही कटौती
जिले में १ जनवरी २००४ से पहले के नियुक्ति वाले कर्मचारियों की कटौती हो रही है। उन्हें ही पेंशन के बाद दवाई नि:शुल्क मिलती है व जांच फ्री होती है। ऐसे में जानकारों का कहना है कि जब सरकार ही नि:शुल्क दवाइयां दे रही है तो कटौती का क्या फायदा।
सरकार २०११ से राज्यभर में सभी लोगों को नि:शुल्क दवाई व जांच की सुविधा दे रही है। ऐसे में शिक्षकों व कर्मचारियों से सेवानिवृत्ति के बाद सरकार की आरे से दी जाने वाली चिकित्सा सुविधा के नाम पर वेतन से आरपीएमएफ के नाम पर की जा रही कटौती गलत है, यह बंद होनी चाहिए। कई बार तो गंभीर रोगियों को इलाज के लिए तुरंत बाहर ले जाना पढ़ता है। ऐसे में नियमों की जटिलता के चलते योजना का लाभ नहीं मिल पाता है।
राजेन्द्र कुमार सोनी, जिलाध्यक्ष कर्मचारी संयुक्त महासंघ, झालावाड़
राजस्थान पेंशनर मेडिकल फंड के नाम पर पूर्व में की जा रही कटौती की राशि में बढ़ोत्तरी की गई है। यह महंगाई भत्ते के साथ बढ़ाई गई है। इससे करीब ७ हजार से अधिक पेंशनर प्रभावित होंगे।
भंवरसिंह राजावत, जिलाध्यक्ष पेंशनर समाज, झालावाड़
पेंशन के बाद जो इलाज होता है वह इसी कटौती से होता है। इसलिए कर्मचारियों की कटौती की जाती है। डीए की बढ़ोतरी के साथ-साथ ही कटौती में भी बढ़ोतरी होती है।
भगदान दास मेहरा, कोषाधिकारी, झालावाड़