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झालावाड़

Rain Alert, Heavy Rain….हाड़ौती के किसानों को एक ही रात में 500 करोड़ का नुकसान

कोटा संभाग में बारिश से सोयाबीन, उड़द, मूंग और मक्का की फसल को व्यापक नुकसान- संभागीय आयुक्त ने कोटा में आनन-फानन में बुलाई उच्च स्तरीय बैठक

झालावाड़Oct 18, 2021 / 03:50 pm

Ranjeet singh solanki

Rain Alert, Heavy Rain....हाड़ौती के किसानों को एक ही रात में 500 करोड़ का नुकसान

Rain Alert, Heavy Rain….हाड़ौती के किसानों को एक ही रात में 500 करोड़ का नुकसान

झालावाड़. कोटा संभाग में शनिवार रात को हुई भारी बारिश से किसानों के अरमानों पर पानी फिर गया है। खेतों में कटी फसलें पानी-पानी हो गई है। खेतों में कटी फसलें पूरी तरह बर्बाद हो गई है। किसान संगठनों ने कोटा, झालावाड़, बारां में पांच सौ करोड़ की फसलें नुकसान होने का दावा किया है। बीमा कम्पनियों भी अब सर्वे से पीछे हट रही है। नुकसान शत प्रतिशत पहुंच गया है। उधर कोटा संभागीय आयुक्त के.सी. मीणा ने फसलों को हुए नुकसान का फीडबैक लेने तथा खाद-बीज की आपूर्ति के संबंध में चर्चा करने के लिए संभागीय स्तर की बैठक बुलाई है। इन दिनों किसान फसल निकालने में जुटे हैं, लेकिन उनकी उम्मीदों के मुताबिक उत्पादन नहीं होने से चिंतित हैं। जहां हर बार क्विंटलों के हिसाब से एक बीघा में फसल का उत्पादन होता था, वहां आज किलो में उपज निकल रही है। फसल उत्पादन से किसानों की लागत भी नहीं निकल पा रही है। जिले में अतिवृष्टि के कारण फसलें तबाह हो गई। इसका असर कृषि उपज मंडियों में भी देखा जा सकता है। जहां दिवाली के पहले मंडियां अनाज से जाम हो जाती थी। आज वहां भी सन्नाटा छाया हुआ है। बहुत कम आवक हो रही है।
बुवाई के वक्त किसानों ने बारिश के दौरान महंगा बीज खरीदकर बुआई की, जैसे-तैसे फसल में बढ़वार हुई, लेकिन जुलाई-अगस्त में लगातार बारिश से बीज खराब हो गया। धरतीपुत्रों ने फिर से बीज की रोपाई की। इस बार भी झमाझम बारिश से खेतों में पानी भर गया और कई दिनों तक यही हालात रहने से खड़ी फसलें गल गई, कई जगहों पर अगेती फसलों में फलियां बन गई थी, लेकिन पानी भरा होने से फलियां अंकुरित हो गई। इसके बाद रही कसर बांधों से छोड़े पानी ने पूरी कर दी। नदी किनारे बसे गांवों के खेतों में उगी फसल बाढ़ के पानी की वजह से बह गई। कई कच्चे मकान गिर गए और मवेशी बह गए। कई गांवों में आई बाढ़ का मंजर अभी भी आसानी से देखा जा सकता है। छापी नदी किनारे गांवों के खेतों में बारिश के दिनों में जलभराव रहने से जमीन में लम्बे समय तक नमीं बनी रहती है। अतिवृष्टि के समय छापी बांध की भराव क्षमता पूर्ण होने के पश्चात उमरिया भालता, भील भालती, तालाब, भालती, होड़ा, मानपुरा, बैरागढ़, सेमली, खेड़ला, जागीर समेत अन्य गांवों में खेतों में खड़ी फसल में पानी भर जाता है। खेतों में उगी सोयाबीन मक्का की फसल गल जाती है। जानकारी के अनुसार छापी बांध की दांयी व बायीं नहरों से पानी छोडऩे के बाद दिसम्बर महीने में जाकर खेतों में गीलापन खत्म होता है। इन दिनों फसलें तैयार हो रही हैं। जगह-जगह किसान खेतों में थ्रेसर व कम्बाइड मशीनों से फसलों को तैयार करा रहे हैं, लेकिन निकल रहे उत्पादन ने किसानों की हालात खस्ता कर दी है। स्थिति यह है कि अधिकांश किसानों को मुनाफा छोड़ तो लागत के भी लाले पड़ रहे है। बुवाई के दौरान बारिश ठीक रही तो किसानों ने बुवाई की। मौसम भी अनुकूल रहा तो फसलोत्पादन ठीक रहने की उस वक्त उम्मीद जगी, लेकिन मानूसन सीजन शुरू होते ही अगस्त माह में फसलों के बढ़वार के समय से लेकर मानसून विदाई सितंबर के अंतिम सप्ताह में फसल के पकाव के दौरान हुई अतिवृष्टि ने किसानों की सारी उम्मीदों को काफूर कर दिया। किसानों ने महंगे दामों में बीज खरीदा तो खाद.दवाइयों की व्यवस्था कर जैसे-तैसे फसल बचाई, लेकिन लगातार बारिश ने फसल बर्बाद कर दी। खानपुर उपखंड के अधिकांश खेतों में सोयाबीन का उत्पादन आधी से एक बोरी निकल रहा है। जिन खेतों में फसलों में पानी भराव रहा, वहां तो उपज किलोग्राम में निकल रही है।
यूं समझें गणित
. एक बीघा जमीन में सोयाबीन पर खर्च
. खेत हंकाई खर्च 400 रुपए
. सोयाबीन बीज भाव 10 हजार प्रति क्विंटल
. एक एक बीघा जमीन में 30 किलो बीज पर खर्च 3000
. ट्रैक्टर से औराई खर्च 900 सौ रुपए प्रति घन्टा
. कुलपा निकाला 1000 रुपए
. खरपतवार नाशक दवाई दी, 2 बार खर्च 400 रुपए
. कटाई की मजदूरी कम से कम 1000
. कटी हुई सोयाबीन एकत्रित करने पर खर्च 500 रुपए
. थ्रेसर में निकलाते समय रुपए कम से कम 500

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