खासकर प्रसूति व अन्य महिलाओं के अलावा गम्भीर बीमारी वाले मरीजों को मुसीबत का सामना करना पड़ता है। कंपाउंडरों द्वारा प्राथमिक उपचार कर दिया जाता है। पीपीपी मोड़ के वक्त पूर्व में यहां डॉक्टर तैनात रहने से प्रसव के लिए महिलाओं व उनके परिजनों को सुविधा मिल रही थीं। लेकिन वर्तमान में चिकित्सक के अभाव में गर्भवती महिलाओं को डिलेवरी के लिए निजी खर्चे से तथा रिस्क लेकर दूसरी जगह लेकर जाते हैं। पहले इसी अस्पताल में प्रतिमाह 20 से 30 प्रसव होते थे। ग्रामीणों का कहना है कि विपरीत परिस्थितियों में गर्भवती महिलाओं को दूर के अस्पताल में ले जाना जान से खिलवाड़ करने से कम नहीं है।
प्रदर्शन भी कर चुके ग्रामीण
गौरतलब है कि चिकित्सक की मांग को लेकर 3 मार्च को सरपंच के नेतृत्व में ग्रामीणों ने प्रदर्शन किया था। उस समय सरपंच प्रतिनिधि व ग्रामीणों को सीएमएचओ डॉ. साजिद खान ने 15 दिन के भीतर पीएचसी पर चिकित्सक लगाने का भरोसा दिलाया था। कस्बे व क्षेत्रीय जनप्रतिनिधियों ने इस संबंध में सांसद दुष्यंत सिंह को अवगत करवा चिकित्सक लगाने की मांग की थी। सांसद सिंह के निर्देश पर रीछवा में तैनात चिकित्सक को डेपुटेशन पर लगाया था। जिसे भी महज 15 दिन बाद ही हटा दिया गया।