गत सरकार में राजस्थान प्रोन्नति एवं संरक्षण प्राद्यिकरण के अध्यक्ष जब झालावाड़ आए थे तब पीपानंदजी के चरित्र एवं उनकी विशेषता के इतिहास से वो बहुत प्रभावित हुए थे। इसके बाद ही पैनोरमा निर्माण की स्वीकृति गत सरकार की सहमति से जारी की थी लेकिन यह पैनोराम अब धीरे-धीरे खंडहर में तब्दील होता नजर आ रहा है। पैनोरमा परिसर में अंदर की ओर कंटीली झाडिय़ां उग आई है। वहीं झाड़-झंकाड़ होने से अब इसमें अंदर जाना भी मुश्किल भरा है। जिला प्रशासन को इसकी देखरेख समुचित तरीके से करनी चाहिए। ताकि पैनारोमा की सुंदरता बनी रही।
इतिहासविद् ललित शर्मा ने बताया कि पीपानंद जी का जीवन संत एवं राजा के रूप में रहा। उनकी जीवंत प्रतिमाएं एवं इतिहास इस पैनारोमा में है। उनके चमत्कार एवं अनेक समाज के लोगों को जोडऩे के लिए भक्ति का उपदेश देने के लिए सौराष्ट्र, राजस्थान में जो-जो यात्राएं की है उनकी चित्रावली भी इस पैनोरामा में अंकित कर रखी है। इसमें मूर्तियों एवं चित्रों के माध्यम से पीपानंद जी का जीवन-चरित्र दर्शाया है। इसको पर्यटकों के लिए समुचित रूप से खोलना चाहिए।
लिए इसे बंद क्यों कर रखा है, इसके दिखवाते हैं।
मोहम्मद जुनैद, उपखंड अधिकारी