जिले में 2017 से जारी एक लीज 15 अप्रेल 2024 को समाप्त हो गई है। एक दशक से अधिक समय से महंगी बजरी खरीद रही जनता को सस्ती बजरी उपलब्ध कराने के लिए पूर्ववर्ती सरकारों ने बजरी खानों की नीलामी में अधिकतम खुदरा दरें तय करने का प्रावधान किया था। लेकिन अभी भी आम लोगों को सस्ती बजरी एक सपना ही बना हुआ है।
बजरी खानों की नीलामी के अलावा खान विभाग ने खनिजों की रॉयल्टी वसूली के लिए ठेके देने को लेकर भी विज्ञप्ति जारी करने का प्रोसेस चल रहा है, ये काम प्रदेश स्तर से अनुमति के बाद ही विज्ञप्ति जारी की जाएगी। जिले में बजरी लीज धारक खनन विभाग को 45 रुपए प्रतिटन के हिसाब से देते हैं। जबकि ग्राहकों से कई गुणा रेट वसूली जाती है। जिले में इन दिनों किसी के पास बजरी का लाइसेंस नहीं होने से लीज धारक द्वारा स्टॉक किए जाने की स्थिति में ऑनलाइन टीपी कटवाकर बजरी का बेचान कर परिवहन किया जा सकता है। अगर किसी के पास रव्वना व टीपी नहीं होने की स्थिति में अवैध माना जाएगा।
जिले में तय दर
स्थान – सेल प्राइज प्रति टन झालरापाटन – 379 गंगधार – 379 खानपुर – 552 पिड़ावा – 552 पचपहाड़ – 469 अकलेरा – 636 मनोहरथाना – 719 असनावर – 552 जिले में अभी बजरी खनन की कोई लीज नहीं है। एक लीज थी वो 15 अप्रेल 2024 को समाप्त हो गई है। नई लीज के लिए ऊपर से आदेश आने के बाद विज्ञप्ति जारी की जाएगी। अभी पूरे जिले में कहीं भी कोई खनन नहीं कर सकता है।
– देवीलाल बंशीवाल, एमई, खनन विभाग, झालावाड़
खनन की अनुमति नहीं
खान विभाग के अधिकारियों के मुताबिक जिले में अभी बजरी की दो खानें आवंटित हैं। इनमें माइनिंग लाइसेंस नंबर 33/2012 की लीज जिसमें झालरापाटन तहसील पूरी व बकानी, पचपहाड़ व असनावर का कुछ हिस्सा आता है जो 15 अप्रेल 2024 को समाप्त हो गई है। वहीं दूसरी लीज 22/2013 नंबर गंगधार तहसील की है जिसमें पर्यावरण अनुमति नहीं मिलने के कारण खनन नहीं किया जा सकता है।
सस्ती हो बजरी तो मिले राहत
झालावाड़ निवासी राजेश रावल ने बताया कि इन दिनों मकान का काम चल रहा है। रेत का एक डंपर 20 से लेकर 23 हजार तक में मिल रहा है। सरकार ने सस्ती बजरी के आदेश दिए थे। झालरापाटन निवासी देवेन्द्रसिंह ने बताया कि बजरी महंगी मिलने से ज्यादा खर्चा आ रहा है। लालचन्द ने बताया कि पीएम आवास में सरकार से पहले ही कम पैसे मिलते हैं, ऐसे में बजरी महंगी होने से आर्थिक परेशानी आ रही है।