परवन परियोजना के बांध के निर्माण की गति बनी रही तो भी यह 2025 के मानसून में भर सकेगा। इसके बाद नहरों का काम पूरा होता है तो उनमें जलप्रवाह किया जा सकेगा। विभागीय सूत्रों के अनुसार वर्तमान में बांध का 39 प्रतिशत ही कार्य पूरा हुआ है। जबकि इसकी सुरंग का कार्य 95 प्रतिशत तक पूरा हो गया है। नहरों का काम भी गति नहीं पकड़ पा रहा है। जबकि गत मार्च में शुरू होने की उम्मीद जताई जा रही है।
परियोजना पर एक नजर
7355 करोड़ रुपए कुल लागत 5060 करोड़ अब तक कुल खर्च 3200 करोड़ मुआवजा वितरित 1800 करोड़ बांध व नहर पर खर्च 637 गांव सिंचाई से लाभान्वित 1817 गांवों को मिलेगा पेयजल 201000 हैक्टेयर सिंचित क्षेत्रफल 110000 हैक्टेयर जिले में सिंचाई 490 मिलियन घन मीटर क्षमता
129 किमी लम्बाई में होंगी बांध की नहरें
परवन वृह्द सिंचाई परियोजना की दायीं मुय नहर 89 किमी व बायीं मुय नहर 40 किमी लम्बाई में होगी। परियोजना के लाभान्वित क्षेत्र में ड्रिप सिंचाई परियोजना से किसानों को फसलों की सिंचाई के लिए पानी दिया जाएगा। यदि बजट का अड़ंगा नहीं आता तो, इसमें अभी तीन साल का समय और लग सकता है। सूत्रों के अनुसार परियोजना के झालावाड़ में स्थित कार्यालय में इन दिनों 25 प्रतिशत अभियंताओं व मंत्रालयिक कर्मचारियों की कमी है। इससे भी काम गति नहीं पकड़ रहा।
इनका ये कहना
अब परियोजना के काम को गति दी जा रही है, जैसे-जैसे बजट मिल रहा है, कार्य करा रहे हैं। बांध का काम 2022 में पूरा होना था, लेकिन अब यह 2025 में पूरा हो सकेगा। मुय समस्या नहरों के लिए खेतों के खाली होने की है। बजट लगातार मिलता रहा तो वर्ष 2026 में परियोजना के सभी कार्य पूरे हो जाएंगे।