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झांसी

ये है धर्म की पहली सीढ़ी, अगर चारों तरफ दिखे ऐसा नजारा तो समझो जीवन में धर्म की शुरुआत

ये है धर्म की पहली सीढ़ी, अगर चारों तरफ दिखे ऐसा नजारा तो समझो जीवन में धर्म की शुरुआत

झांसीOct 28, 2018 / 06:50 am

BK Gupta

aryika purnmati mata pravachan in karguan jain temple jhansi

ये है धर्म की पहली सीढ़ी, अगर चारों तरफ दिखे ऐसा नजारा तो समझो जीवन में धर्म की शुरुआत

झांसी। जैन आर्यिका पूर्णमति माता ने कहा कि सच्चे देव, शास्त्र और गुरु का समागम महा सौभाग्यशाली लोगों को प्राप्त होता है। धर्म की पहली सीढ़ी है कि हमारा कोई शत्रु न हो। चारों तरफ व्यक्ति को शुभचिंतक और मित्र ही दिखाई दें तो समझना कि हमारे जीवन में धर्म की शुरुआत हो गई है। वह यहां जैन तीर्थ करगुवां में आयोजित धर्मसभा में बोल रहे थे।
किसी को अपना न समझो
आर्यिका पूर्णमति माता ने कहा कि पराये जैसा व्यवहार कभी भी किसी से नहीं करना चाहिये। यहां संसार सागर में रहने वाले अधिकाधिक संख्या स्वार्थी है इसीलिये किसी को अपना समझने की भूल न करो, और तो और आचार्य भगवन कहते हैं कि यह शरीर भी तुम्हारा अपना नहीं है। इसीलिये किसी को अपना नहीं समझना चाहिए। उन्होंने कहा कि जिनके भीतर देव दर्शन, गुरुदर्शन, तप, स्वाध्याय, संयम, आचरण में नहीं हैं उन्हें श्रेष्ठ सावक नहीं कहा जा सकता। एक अच्छे इंसान बनना चाहते हो तो अच्छे भाव बनाओ। पुरुषार्थ करो। समय सार से दिव्य देशना देते हुये उन्होंने कहा कि आत्मा के हित, अहित को जीव जान लेता तो बाहर में भटकता नहीं। इस भटकाव से बचने के लिये अपनी दृष्टि को स्व-सम्मुख करो। उन्होंने कहा कि अंतर की मनोदशा को पकड़ पाना बहुत मुश्किल है। कलुषित भाव छिपाकर सुख को ठुकराना तो फिर भी सरल है किंतु दुख को अपनाना बहुत कठिन है। अपने भीतर में विकारों के कांटे कितनी गहराई तक कहां-कहां छिपे हैं किसी को पता नहीं।
ये लोग रहे उपस्थित
इस अवसर पर प्रारंभ में विपिन कुमार, मनोज कुमार, धर्मचंद्र सीतापुर एवं बुन्देलखण्ड प्रेस वेलफेयर सोसायटी के अध्यक्ष शीतल तिवारी ने आर्यिका पूर्णमति को श्रीफल देकर मंगल आशीर्वाद प्राप्त किया। धर्मसभा का शुभारंभ अतिथियों ने आचार्यश्री के चित्र अनावरण एवं दीप प्रज्ज्वलित कर किया। संचालन प्रवीण कुमार जैन ने किया। बाद में सभी के प्रति आभार संजय कर्नल ने व्यक्त किया।
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