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जयपुर

राजस्थान में दूदू कलक्टर के बाद अब घूसकांड में फंसा एक और बड़ा अधिकारी, जानिए पूरा मामला

former DIG Vishnukant Bribery case : एसीबी ने प्राथमिक जांच में यह आरोप सही मानते हुए रिश्वत लेने के आरोपी होमगार्ड आईजी विष्णुकांत व रिश्वत देने वाले हेड कांस्टेबल सरदार सिंह व उसके भाई प्रताप सिंह के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर ली है।

जयपुरMay 02, 2024 / 07:29 am

Anil Prajapat

Bribery case in Rajasthan : जयपुर। भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) के तत्कालीन डीआईजी विष्णुकांत व जयपुर आयुक्तालय के दो पुलिसकर्मियों से डीजी के नाम 9.5 लाख रुपए की रिश्वत ली थी। उपनिरीक्षक सत्यपाल पारीक के परिवाद पर एसीबी ने प्राथमिक जांच में यह आरोप सही मानते हुए रिश्वत लेने के आरोपी होमगार्ड आईजी विष्णुकांत व रिश्वत देने वाले हेड कांस्टेबल सरदार सिंह व उसके भाई प्रताप सिंह के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर ली है। बता दें कि हाल ही में दूदू जिला कलक्टर हनुमान मल ढाका पर 25 लाख रुपए रिश्वत मांगे जाने का आरोप था। एसीबी ने रेड डाली थी, लेकिन वो रिश्वत लेते नहीं पकड़ा गया था। हालांकि, एसीबी रेड के बाद भजनलाल सरकार ने कलक्टर को एपीओ कर दिया था।
सत्यापाल पारीक ने यह परिवाद जनवरी 2023 को दिया था। हालांकि, उस समय परिवाद पर एसीबी ने गम्भीरता नहीें दिखाई। इसके बाद सत्यपाल पारीक ने अदालत में प्रार्थना पत्र पेश किया। अदालत ने एसीबी से जवाब मांगा तो एसीबी ने लिखा कि इस मामले में 13 सितंबर 2023 को प्राथमिक जांच दर्ज कर ली गई है। पारीक ने एसीबी को 9 आडियो वीडियो पेश किए थे। इनकी जांच के आधार पर एसीबी ने यह मामला दर्ज किया।

यूं समझे पूरा मामला

हुआ यूं कि 4 अक्टूबर 2021 को एसीबी ने जवाहर सर्किल के कांस्टेबल लोकेश कुमार को एसीपी ने ट्रेप किया था। मामले में हेड कांस्टेबल सरदार सिंह भी गिरफ्तार हुआ था। जांच अधिकारी उप अधीक्षक सुरेश कुमार स्वामी ने लोकेश कुमार शर्मा के खिलाफ चालान पेश कर दिया तथा सरदार सिंह के खिलाफ अभियोजन के लिए पर्याप्त साक्ष्य नहीं मानते हुए प्रकरण से उसका नाम अलग करने की अनुशंषा की।
तत्कालीन डीआईजी विष्णुकांत ने उप निदेशक अभियोजन से राय मांगी। उप निदेशक अभियोजन ने सरदार सिंह की अपराध में संलिप्तता प्रकट होने और इस संबंध में अनुसंधान अधिकारी से विचार विर्मश कर निर्णय लेने की अनुशंसा की। डीआईजी विष्णुकांत ने बिना विचार विमर्श ही अनुसंधान अधिकारी की राय से सहमति जताते हुए सरदार सिंह के खिलाफ अपराध प्रमाणित नहीं माना और उसके खिलाफ विभागीय कार्रवाई की अनुशंसा की।

ऑडियो व वीडियो में आरोपी हेड कांस्टेबल ने कबूला रिश्वत देना

थानेदार सत्यपाल पारीक ने एक वीडियो रिकॉर्ड किया, जिसमें खुद हेड कांस्टेबल सरदारसिंह बता रहा है कि किस तरह उससे रिश्वत मांगी गई तथा उसने एक बार सात लाख रुपए तथा दूसरी बार में 2.5 लाख रुपए अधिकारी को दिए।

अपने गैनमेन के भाई से ली रिश्वत

हेड कांस्टेबल सरदार सिंह का भाई प्रताप सिंह पहले पुलिस लाइन में तैनात था। विष्णुकांत जब एसओजी में पदस्थ थे, उस समय प्रताप सिंह उनका गैनमेन था। सरदारसिंह के खिलाफ एसीबी केस होने पर प्रताप सिंह ही उनके पास रिश्वत का ऑफर लेकर गया था। प्रताप सिंह ने भी रिश्वत को लेकर हुई बातचीत रिकॉर्ड कर ली थी। यह रिकॉर्डिंग सरदार सिंह ने ही सत्यपाल को वाट्सऐप से भेजी थी।

वार्ता में आरोपियों के नाम उजागर

ट्रांस्किप्ट वार्ता में डीआईजी विष्णुकांत ने महानिदेशक के नाम पर दस लाख रुपए रिश्वत की मांग की थी। 9.5 लाख रुपए रिश्वत दिए जाने के तथ्य सरदार सिंह और प्रताप सिंह ने सत्यपाल पारीक को बताए। इसकी पुष्टि सरदार सिंह और विष्णुकांत के बीच हुई वार्ता में उजागर हुए।

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