scriptसपा-बसपा के उदय के साथ ही डूब गया कांग्रेस का सितारा, तीस साल से बाहर है मुख्य लड़ाई से | jhansi constituency seat for loksabha election 2019 | Patrika News
झांसी

सपा-बसपा के उदय के साथ ही डूब गया कांग्रेस का सितारा, तीस साल से बाहर है मुख्य लड़ाई से

यूपी में क्षेत्रीय दलों के रूप में समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी के उदय के साथ ही कांग्रेस के चमकदार राजनीतिक इतिहास का सितारा डूबता चला गया।

झांसीMar 26, 2019 / 09:40 am

आकांक्षा सिंह

lucknow

सपा-बसपा के उदय के साथ ही डूब गया कांग्रेस का सितारा, तीस साल से बाहर है मुख्य लड़ाई से

झांसी. यूपी में क्षेत्रीय दलों के रूप में समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी के उदय के साथ ही कांग्रेस के चमकदार राजनीतिक इतिहास का सितारा डूबता चला गया। स्थिति की गंभीरता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि 2014 के लोकसभा चुनाव में बुंदेलखंड की सभी चारों सीटों पर कांग्रेस उम्मीदवार चौथे स्थान पर चले गए। इतना ही नहीं, कभी कांग्रेस के लिए सबसे उपजाऊ राजनीतिक जमीन के रूप में देखी जाने वाली जालौन संसदीय सीट पर तीस साल से कांग्रेस मुख्य लड़ाई से बाहर है। यहां से 1984 में आखिरी बार कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में चौधरी लच्छीराम सांसद चुने गए। इसके बाद से मुख्य मुकाबले में भाजपा, सपा और बसपा के ही प्रत्याशी रहे और इन्हीं में से सांसद चुने गए।

ऐसा है जालौन का राजनीतिक इतिहास

जालौन में 1984 तक कांग्रेस का इतिहास बेतहरीन रहा। सन् 1952 से 1984 तक हुए लोकसभा चुनाव में इस सीट से केवल 1977 में छोड़कर बाकी सभी चुनावों में कांग्रेस के ही सांसद चुने गए। 1977 में यहां से भारतीय लोकदल के रामचरन सांसद चुने गए। इसके अलावा कांग्रेस से जीतने वाले सांसदों में लोटन राम, होती लाल, चौधरी रामसेवक, नाथूराम शाक्यवार व चौधरी लच्छीराम शामिल रहे।

कांग्रेस 1989 से आई हाशिए पर

जालौन सीट पर कांग्रेस 1989 से हाशिए पर चली गई। 1989 के चुनाव में जनता दल के रामसेवक भाटिया सांसद चुने गए। वहीं बसपा ने इस चुनाव में धमाकेदार एंट्री मारी। बसपा के बाबू रामाधीन दूसरे नंबर पर रहे। इसके बाद 1991 के चुनाव में भाजपा ने इस सीट पर पहली बार जीत का स्वाद चखा। भाजपा के गयाप्रसाद कोरी सांसद चुने गए और दूसरे नंबर पर रहे बसपा के बाबू रामाधीन। 1996 के चुनाव में यहां से भाजपा के भानु प्रताप सिंह वर्मा सांसद चुने गए। बसपा के चैनसुख भारती दूसरे नंबर पर रहे। 1998 में फिर एक बार भाजपा के भानु वर्मा सांसद चुने गए और दूसरे नंबर पर फिर बसपा रही। बसपा के प्रत्याशी थे मानसिंह। फिर 1999 में हुए चुनाव में पहली बार बसपा ने इस सीट पर जीत का परचम फहराने में कामयाबी पाई। बसपा के टिकट पर बृजलाल खाबरी सांसद चुने गए और दूसरे नंबर पर रहे भाजपा के भानु वर्मा। 2004 के चुनाव में भाजपा के भानु वर्मा ने फिर बाजी मारी और दूसरे नंबर पर समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी घनश्याम कोरी ने जगह बनाई। इसके बाद 2009 के अगले ही चुनाव में इस सीट पर घनश्याम ने जीत दर्ज करके समाजवादी पार्टी का झंडा ऊंचा कर दिया। दूसरे नंबर पर बसपा के तिलक अहिरवार रहे। 2014 के चुनाव में फिर भाजपा ने यह सीट वापस हासिल कर ली। भाजपा के भानु वर्मा यहां से एक बार फिर सांसद चुने गए। दूसरे नंबर पर रहे बसपा के बृजलाल खाबरी।

खाबरी के सामने है बड़ी चुनौती

सन् 1999 के चुनाव में बसपा के टिकट पर चुनाव जीतने वाले बृजलाल खाबरी इस बार कांग्रेस का हाथ थामकर चुनाव मैदान में हैं। उनके सामने पिछले 30 साल से मुख्य लड़ाई से बाहर चल रही कांग्रेस की इस चुनाव में वापसी कराने की सबसे बड़ी चुनौती है।

 

Home / Jhansi / सपा-बसपा के उदय के साथ ही डूब गया कांग्रेस का सितारा, तीस साल से बाहर है मुख्य लड़ाई से

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो