अक्षय का अर्थ है जो कभी नष्ट न हो। इस दिन ग्रहों का विशेष संयोग बनता है। सूर्य और चंद्रमा अपनी उच्च राशि में होते है। साल में सिर्फ एक दिन यह संयोग बनता है। सूर्य मेष में होता है और चंद्रमा वृषभ में होता है। इस पर भी कोरोना वायरस के कारण चल रहे लॉक डाउन की छाया दिखाई दे रही है। शास्त्रों में सूर्य को प्राण और चंद्रमा को हमारा मन माना गया है। सूर्य और चंद्रमा का संबंध बनने की वजह से ये तिथि बहुत महत्वपूर्ण हो जाती है। इसलिए इस दिन जो भी काम किया जाए उसका फल दोगुना और कभी न खत्म होने वाला होता है। अक्षय तृतीया को अखतीज और वैशाख तीज भी कहा जाता है।
पंडित दिनेश मिश्रा ने बताया कि परशुराम जयंती शनिवार को मनाई जाएगी। वहीं अक्षय तृतीया रविवार को मनाई जाएगी। रविवार को सुबह 5.48 बजे से दोपहर 1.22 तक पूजा का मुहूर्त है। तृतीया तिथि का प्रारंभ 25 अप्रैल को 11 बजकर 51 मिनट से है तथा समाप्ति 26 अप्रैल को है।