सूत्रों ने बताया कि सोमवार को कोरोना के तीन दर्जन के करीब पॉजिटिव मामले सामने आए, लेकिन सीएमएचओ समेत जयपुर चिकित्सा विभाग की ओर से महज एक दर्जन कोरोना पॉजिटिव की जानकारी दी गई। एक दर्जन कौन से हैं। इस सवाल का जवाब किसी के पास नहीं मिला।
जिले में कोरोना का संक्रमण नहीं रूक रहा है। जिले के खेतड़ी नगर स्थित हिन्दुस्तान कापर लिमिटेड के केसीसी प्रोजेक्ट में लगातार भारी संख्या में कोरोना पॉजिटिव मामले मिल रहे हैं। जिले के चिड़ावा में एक बार फिर हालात बेकाबू हो रहे है। वहां संक्रमण बढ़ेगा। इन संभावनाओं से भी इनकार नहीं किया जा सकता।
चिड़ावा के ब्लॉक सीएमएचओ समेत सीएचसी से जुड़े पांच चिकित्सक कोरोना पॉजिटिव मिले हैं। वहीं मंड्रेला में कार्यरत दो नर्सिंग स्टाफ भी कोरोना पॉजिटिव मिला है। सूत्रों ने बताया कि इन चिकित्साकर्मियों के संपर्क में पिछले दिनों में सैंकड़ों लोग आए है, लेकिन विभाग इनकी सम्पर्क सूची बना पाएगा इस पर संदेह है। वहीं इनके संपर्क में आए लोग भी आगे आकर अपनी जांच नहीं करवा सकेंगे। क्योंकि विभाग यह जानकारी भी नहीं दे पा रहा है कि ये चिकित्सक कौन है। हालात बेकाबू हो रहे हैं।
इसी तरह लुका छिपी के खेल में पिछले दिनों पीएनबी बैंक के मैनेजर के कोरोना पॉजिटिव आने की जानकारी छुपाई गई। जिससे न केवल बैंककर्मी, बल्कि मैनेजर के संपर्क में आए बड़ी संख्या में बैंक ग्राहक अब तक इस बात से अनजान हैं कि वे किसी कोरोना पॉजिटिव के संपर्क में आए हैं। चिकित्सा विभाग इनकी सम्पर्क सूची तक तैयार नहीं कर पाया। वहीं दो दिनों तक तक साथी बैंककर्मी दहशत में रहे और अपने सैंपल देने के लिए इधर से उधर भटकते फिर रहे हैं।
सूत्रों ने बताया कि आंकड़ों की लुकाछिपी का खेल कॉपर में कोरोना को बेकाबू कर चुका है। कॉपर में श्रमिकों के बड़ी संख्या में पॉजिटिव आने की जानकारी कलेक्टर उमरदीन खान से भी विभाग के अधिकारियों ने छुपा ली थी। एक दिन बाद समाचार पत्र में सूत्रों के हवाले से जब जानकारी सामने आई तो करीब 24 घंटे बाद कलेक्टर ने कर्फ्यू लगाया था। जबकि कर्फ्यू एक दिन पहले ही लग जाना चाहिए था। अब भी ऐसे हालात जिले में कई स्थानों पर हो सकते हैं। इस मामले में झुंझुनूं भाजपा जिलाध्यक्ष पवन मावंडिया भी सवाल उठा चुके है। लेकिन असल में तो विभाग पर सीएम के निर्देशों का ही असर नहीं तो फिर भाजपा जिलाध्यक्ष की बात का असर हो यह संभव नहीं है, लेकिन सच छुपाना स्थिति को और बदतर बना सकता है। इसके लिए जिला प्रशासन को भी सख्त कदम उठाने होंगे।
दो दिन पहले खुद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने आंकड़े छुपाने को लेकर गंभीर चिंता जाहिर कर ताकीद किया था कि जिला स्तर पर आंकड़े जारी किए जाएं, ताकि लोगों को पॉजिटिव मामलों की जानकारी हो सके और कॉन्टेक्ट पर्सन खुद आगे आकर अपने सैंपल दें और होम क्वारंटाइन हो सके, लेकिन गहलोत के निर्देशों का भी विभाग के अधिकारियों द्वारा गंभीरता से नहीं लिया जाता। साफ दर्शाता है कि ना केवल जिले में बल्कि प्रदेश में चिकित्सा विभाग और उनके अधिकारी बेकाबू हो चुके हैं।