झुंझुनूं जिले के खेतड़ी के अतिरिक्त वे अलवर, जयपुर, किशनगढ़, अजमेर, माउन्ट आबू और जोधपुर भी आए थे। स्वामी ने अपने पत्रों में बार-बार राजस्थान की प्रशंसा की। स्वामी विवेकानंद पर ग्रंथ लिखने वाले डॉ. जुल्फीकार के अनुसार वे राजस्थान में सबसे पहले अलवर आए।
जन्म: कोलकाता में 12 जनवरी 1863
निधन: 4 जुलाई 1902
उम्र करीब 39 वर्ष
अलवर यात्रा:- स्वामी विवेकानंद दिल्ली से दो बार अलवर गए। वर्ष 1891 व 1897 में वे 52 दिन अलवर में रुके। सर्वप्रथम अलवर के तत्कालीन महाराजा मंगलसिंह से मूर्ति-पूजा पर चर्चा की।
जयपुर यात्रा: वे अलवर से जयपुर गए। वर्ष 1891, 1893 व 1897 में तीन बार गए। तीनों बार कुल 50 दिन रुके। जयपुर में वेदान्ती पं. सूर्यनारायण से धर्म चर्चा की तथा पाणिनीय व्याकरण का ज्ञान उन्होंने यहीं से लिया।
किशनगढ़ और अजमेर यात्रा: जयपुर से वे किशनगढ़ और अजमेर गए। वर्ष 1891 में वे 4 दिन रुके। उन्होंने निम्बार्काचार्य मठ के दर्शन किए और वहां के आचार्यों से वार्तालाप की। अजमेर में अकबर महल, ख्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती की दरगाह और पुष्कर में ब्रह्मा मंदिर व सावित्री मन्दिर में दर्शन किए।
माउन्ट आबू की यात्रा: अजमेर से वे माउन्ट आबू गए। वर्ष 1891 में वे 91 दिन यहां रुके। 4 जून 1891 को यहीं पर उनकी मुलाकात खेतड़ी के तत्कालीन राजा अजीत सिंह से हुई।
खेतड़ी यात्रा: माउन्ट आबू से वे खेतड़ी आए। वर्ष 1891, 1893 व 1897 में कुल 109 दिन यहां रुके। यहां पं. नारायणदास शास्त्री से व्याकरण का अध्ययन किया। खगोल शास्त्र व वेदान्त पर चर्चा की। यहां तक की उन्हें स्वामी विवेकानन्द नाम, पोशाक, पगड़ी व शिकागो यात्रा टिकट सब खेतड़ी राजा अजितसिंह की देन रही।
जोधपुर यात्रा: जयपुर से वे जोधपुर गए। वर्ष 1897 में वे 10 दिन रुके।जोधपुर के तत्कालीन राजा प्रतापसिंह के यहां अतिथि के रूप में रहे। यहां उनकी कई सभा और व्याख्यान हुए।