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जोधपुर

यौन शौषण मामले में सजा काट रहे आसाराम के सहयोगी शरद की सजा पर स्थगन

राजस्थान उच्च न्यायालय ने नाबालिग छात्रा के यौन शौषण मामले में आजीवन कारावास की सजा काट रहे आसाराम के सहयोगी शरद चन्द्र की सजा को स्थगित कर दिया हैं।

जोधपुरDec 21, 2018 / 02:03 pm

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जोधपुर। राजस्थान उच्च न्यायालय ने नाबालिग छात्रा के यौन शौषण मामले में आजीवन कारावास की सजा काट रहे आसाराम के सहयोगी शरद चन्द्र की सजा को स्थगित कर दिया हैं।

उच्च न्यायालय जोधपुर के न्यायाधीश विजय विश्नोई ने स्थगन याचिका पर आज स्थगन आदेश जारी किए। न्यायालय ने इस संबंध में गत सत्रह दिसम्बर को फैसला सुरक्षित रख लिया था।
आसाराम के छिंदवाड़ा स्थित आश्रम के निदेशक रहे शरद का नाम मामले की मूल एफआईआर में नही था, लेकिन पोक्सो कोर्ट ने उसे 20 साल की कठोर कारावास की सजा सुनाई थी।

शरद को हाइकोर्ट में अपील की सुनवाई व निर्णय होने तक प्रत्येक वर्ष में एक बार ट्रायल कोर्ट में हाजिरी देनी होगी। शरद की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता महेश बोडा व विनय जैन ने पैरवी की।
उल्लेखनीय है कि इस मामले में गत 25 अप्रैल को आरोपी आसाराम को आजीवन कारावास तथा सह आरोपी शिल्पी एवं शरद को बीस वर्ष के कारावास की सजा सुनाई गई थी।

शिल्पी ने इसके खिलाफ उच्च न्यायालय में अपील करने के बाद गत 29 सितम्बर को उसकी सजा स्थगित कर दी गई थी। आसाराम पर उसके गुरुकुल में पढ़ने वाली एक नाबालिग छात्रा ने पंद्रह अगस्त 2013 को जोधपुर के निकट एक फार्म हाउस पर यौन उत्पीड़न करने का आरोप लगाया था।

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