दुनियाभर में वीडियो गेम का बाजार ११० अरब डालर का है। दुनिया भर के लोग हर महीने १.१५ अरब घंटे वीडियो गेम पर बिताते हैं। समस्या भी यहीं से शुरू होती है। इंटरनेट पर हमारी निर्भरता ने हमें कमजोर किया है। इस निर्भरता ने हमारे अंदर सृजनशीलता, आत्मविश्वास को कम कर दिया है। इन मामलों में भी हमारी निर्भरता इंटरनेट पर हो गई है। किशोर वय के बच्चे यह समझ ही नहीं पाते हैं कि कोई खेल उनमें इतनी अधिक नकारात्मकता भर रहा है, जो उनके जीवन पर भारी पड़ सकती हैं। किशोर उम्र में वैसे ही काफी तनाव रहता है। प्रतिस्पर्धा और शिक्षा का भार अलग से है। यह जीवन की दिशा और दशा तय करने वाली उम्र है।जानकारों का कहना है कि अक्सर ऐसे बच्चों की ही वीडियो गेम्स पर निर्भरता अधिक रहती है, जिनके माता-पिता का ध्यान उन पर नहीं होता अथवा वे माता-पिता की उपेक्षा का शिकार होते हैं। नौकरी पेशा परिवारों में बच्चे इस दर्द को भोग रहे हैं। ऐसे में जिम्मेदारी माता पिता की ही बढ़ जाती है। वे अपने बच्चों को ऑनलाइन से दूर तो नहीं कर सकते, लेकिन उनकी इंटरनेट पर निर्भरता को कम अवश्य कर सकते हैं। वे उन्हें समय दें। सही और गलत का महत्व बताएं, फैन्टेसी और रियलिटी का अन्तर भी समझाएं। नकारात्मकता से बाहर लाएं। यही एक मात्र हथियार है, इस तरह के खूनी खेलों को मिटाने का।
यह है मामला
जोधपुर. खतरनाक ब्लू व्हेल गेम का अंतिम टास्क पूरा करने के लिए कायलाना झील में स्कूटी सहित उतरने का प्रयास करने वाली मंडोर निवासी किशोरी का एक निजी अस्पताल में इलाज चल रहा है। उस पर गेम का पागलपन इस कदर सवार था कि जब गोताखोरों और पुलिस ने बचाया तो वह उनसे कहने लगी कि उसे सुसाइड करने दो। मत बचाओ वरना उसकी मम्मी मर जाएगी। मोबाइल गेम से मिले इस खतरनाक टास्क से उसके परिजन अब भी चिंता में हैं। हालांकि वे मीडिया से दूरी बनाए हुए हैं, लेकिन वे उसकी मानसिक और शारीरिक हालत को लेकर चिंता में हैं। किशोरी की जान बचने से पुलिस ने राहत की सांस ली है। इधर, मंगलवार को कई स्कूलों में इस गेम से दूर रहने के लिए जागरुकता अभियान चलाया गया और एडवाइजरी जारी की गई। जिसमें माता-पिता व बच्चों को इसे लेकर सतर्क रहने के लिए कहा गया है।