शीर्ष साहित्यकार डॉ.आईदानसिंह भाटी ने कहा कि दशरथ सोलंकी के पास कविता का वह मुहावरा है जिसके आधार पर वह कविता कहने में सफल हुए हैं। डॉ. कैलाश कौशल ने कहा कि कविता हृदय से उमड़ती है, हमारी पंरपरा के मूलभूत बिंदु इन कविताओं में हैं।
डॉ कौशलनाथ उपाध्याय ने कहा कि काव्य संग्रह की कविताओं में हमारे जीवन की हकीकत नजर आती है। डॉ सरोज कौशल ने कहा काव्यशास्त्र के सिद्धांतों पर दशरथ सोलंकी की कविता सहज खरी उतरती हुई नजर आती है।
हबीब कैफी ने कहा कि दशरथ सोलंकी की छल कविता हमारे समय की महत्वपूर्ण कविता है, जिसमें भूतकाल वर्तमान और भविष्य तीनों को एक साथ कवि ने देखा है। डॉ पद्मजा शर्मा ने कहा कि दशरथ सोलंकी के यहां पर स्त्री पात्र मजबूती के साथ दिखाई देते हैं। किरण राजपुरोहित नितिला ने कहा कि सोलंकी के यहां खूब सारे विषय हैं और उन्हें बेहतर तरीके से अपनी कविता में ले आते हैं।
कवि दशरथ सोलंकी ने कहा कि कागज पर आने वाले शब्द आईना होते हैं। चर्चा में सत्यदेव संवितेंद्र, प्रगति गुप्ता,चांदकौर जोशी, बसंती पंवार, प्रमोद शाह, कमलेश तिवारी, माधव राठौड़, शैलेंद्र ढड्ढा, एन डी निम्बावत, अशफाक फौजदार, अखेराज चारण, डॉ.फतेहसिंह भाटी, गौतम गट्स और प्रवीण मकवाणा ने विचार व्यक्त किए।