एक नजर में अस्पताल के हालात
– 800 से ज्यादा का आउटडोर है।
– 15 डॉक्टर्स स्वीकृत हैं।
– स्वीकृत चिकित्सकों में से भी चार-पांच की कमी है।
– नया भवन बना है, लेकिन अब भी इनडोर व आउटडोर के लिहाज से जगह कम पड़ती है।
![घर के कमरों में बैठते डॉक्टर, बरामदे में मरीजों की कतारें](https://cms.patrika.com/wp-content/uploads/2024/02/12/mahila_3__8722527-m.jpg)
अस्पताल में इलाज के लिए आई महिलाओं ने बताया कि एक घंटे से भी ज्यादा समय तक कतारों में खड़ा रहना पड़ता है। एक महिला प्रेमलता ने बताया कि तकरीबन 45 मिनट से डॉक्टर का इंतजार कर रहे हैं, लेकिन अब तक नहीं आए हैं। दूसरी महिला मेहरूननिशा ने बताया कि आधे घंटे से लाइन में लगी है और अब तक आगे और कितना इंतजार करना पड़ेगा यह भी पता नहीं।
अस्पताल के प्रभारी चंद्रशेखर आसेरी ने बताया कि उपलब्ध संसाधनों पर पूरा काम कर रहे हैं। स्टाफ कम है और भवन भी छोटा पड़ता है। फिर भी मरीजों को पूरी सुविधाएं देने का प्रयास करते हैं।
राजस्थान पत्रिका सेटेलाइट हेल्थ सिस्टम की हकीकत बताने के लिए लगातार अभियान चला रहा है। पावटा सेटेलाइट, मंडोर और इसके प्रतापनगर सेटेलाइट अस्पताल की धरातल पर हकीकत सभी के सामने रख चुके हैं। सभी जगह मरीजों में कतारों का दर्द साफ है। सेटेलाइट व जिला अस्पतालों में नए भवन भी बनाए गए हैं, लेकिन इसके बावजूद मेडिकल कॉलेज के मुख्य अस्पतालों का भार कम नहीं हो रहा। इसका कारण सीमित मानव संसाधन है।
![घर के कमरों में बैठते डॉक्टर, बरामदे में मरीजों की कतारें](https://cms.patrika.com/wp-content/uploads/2024/02/12/mahila_2__8722527-m.jpg)