अनुसूचित जाति जनजाति अपराधों की रोकथाम के लिए बनी विशेष न्यायालय की न्यायाधीश अनिमा दाधीच के समक्ष चल रहे इस मामले में आरोपियों की ओर से अधिवक्ता संजय विश्नोई ने हाईकोर्ट के उस आदेश की प्रतियां पेश की जिसमें अमेरिकी गवाह की गवाही बंद करने का आदेश है।
अधिवक्ता विश्नोई ने सीबीआइ के वरिष्ठ अधिवक्ता मुंबई के एजाज खान को भी आदेश की प्रतिलिपि दे दी। न्यायालय द्वारा इस आदेश के अवलोकन के बाद मामले को बयान मुलजिम में भेजते हुए आगामी 3 दिसंबर को सुनवाई का आदेश दिया।
इसलिए जरूरी थी अंबर बी-कार की गवाही
अपहरण व हत्या के इस हाइ प्रोफाइल मामले में अमरीका की फेडरल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन (एफबीआइ) की डीएनए एक्सपर्ट अंबर बी-कार ने मृतक एएनएम भंवरी की तथाकथित हड्डियों की जांच की थी।
गौरतलब है कि सीबीआइ ने दावा किया था कि राजीव गांधी लिफ्ट नहर से जो गली-जली हड्डियां बरामद हुई थी, वह भंवरीदेवी की ही थी। लेकिन भारतीय एजेंसी एसएफएल (SFL) इन हड्डियों से डीएनए निकालने में नाकाम रहा था। लिहाजा हड्डियों का सैंपल एफबीआइ को भेजे गए थे। डीएनए एक्सपर्ट को यही जानकारी कोर्ट में देनी थी कि नहर में मिली हड्डियां भंवरी देवी की ही थी या नहीं।
इस महत्वपूर्ण गवाह की गवाही से मामले में नया मोड़ आ सकता था। इसीके मद्देनजर सीबीआइ (CBI) इस गवाह की गवाही कराने के लिए भरकस प्रयास कर रही थी। हालांकि सीबीआइ ने इस गवाह की गवाही वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग ( वीसी) से कराने की एक विशेष अर्जी सुप्रीम कोर्ट में लगा रखी है, इसका फैसला भी आना बाकी है। बहरहाल भंवरी मामला अब बयान मुलजिम स्टेज पर पहुंच गया है ।