scriptअगर आप को लगता है कि पाउडर या दवा खाने से लंबाई बढ़ सकती है तो भ्रम में न पड़े क्योकि सामने आई है ये सच्चाई.. | height gets increases from capsules is a myth | Patrika News
जोधपुर

अगर आप को लगता है कि पाउडर या दवा खाने से लंबाई बढ़ सकती है तो भ्रम में न पड़े क्योकि सामने आई है ये सच्चाई..

बहुत से विज्ञापन आते हैं कि यह पाउडर खाने से बच्चे की हाइट बढ़ जाएगी..

जोधपुरOct 08, 2017 / 06:49 pm

Abhishek Bissa

height gets increases from capsules is a myth

height gets increases from capsules is a myth

जोधपुर . बहुत से विज्ञापन आते हैं कि यह पाउडर खाने से बच्चे की हाइट बढ़ जाएगी। इंजेक्शन लगाने से लंबे हो जाएंगे। वास्तविकता यह है कि माता-पिता की हाइट के अनुसार ही बच्चा बढ़ेगा, जबकि इन दवाइयों के कई दुष्प्रभाव हैं। कुछ एेसी ही बातें शनिवार को डॉ. एसएन मेडिकल कॉलेज शिशु रोग विभाग की ओर से आयोजित राजपेडिकॉन कांफ्रेंस में सामने आई। कार्यक्रम में आए लगभग चार सौ शिशु रोग विशेषज्ञों ने अपने व्याख्यान दिए।
कार्यक्रम की शुरुआत एनएचएम मिशन निदेशक नवीन जैन ने की। डॉ. एसएन मेडिकल कॉलेज प्रिंसिपल डॉ. अमिलाल भाट, संयुक्त निदेशक स्वास्थ्य सेवाएं डॉ. संजीव जैन, सीएमएचओ डॉ. एसएस चौधरी, विभागाध्यक्ष डॉ. प्रमोद शर्मा, डॉ. राकेश जोरा, डॉ. मनीष पारख, डॉ. अनुरागसिंह व डॉ. आरके विश्नोई सहित कई शिशु रोग चिकित्सक व अन्य फैकल्टी के चिकित्सक मौजूद थे।
टाइप-१ के मरीजों के लिए आया पंप
डायबिटीज दो प्रकार की होती है। पहले टाइप वन, जो बचपन में हो जाती है। यह अनकॉमन है। इसमें इंसुलिन नहीं बनता। दूसरी टाइप-२ जो सबसे कॉमन है। इसमें इंसुलिन बनता है, लेकिन काम नहीं करता। स्प्रे से इंसुलिन देने का प्रयोग ज्यादा सफल नहीं हुआ। अब पेट पर लगाने वाला बैटरी चलित इंसुलिन पंप आ गया है। कैथेटर के जरिए फिट हो जाता है, जिससे इंसुलिन की रिमोट से स्पीड घटती और बढ़ाई जा सकती है।
– डॉ. राजेश खडग़ावत, आचार्य, दिल्ली एम्स

तीन से पांच प्रतिशत भारतीय थैलेसीमिया कॅरियर
थैलेसीमिया जन्मजात बीमारी है। तीन से पांच प्रतिशत भारतीय युवक-युवती थैलेसीमिया कॅरियर है। जब थैलेसीमिया कॅरियर जोड़ों का विवाह होता है तो २५ प्रतिशत संभावना है कि इनसे पैदा होने वाला बच्चा गंभीर थैलेसीमिया रोगी होगा। इसलिए जान लेना जरूरी है कि आप थैलेसीमिया कॅरियर है या नहीं। जांच के माध्यम से माता-पिता एेसे बच्चे को जन्म नहीं देना चाहिए। क्योंकि आगे जाकर पूरे परिवार को कठिनाइयों का सामना करना पड़ेगा। देश में हर साल १० हजार बच्चे थैलेसीमिया गंभीर बीमारी लेकर पैदा होते है।
– डॉ. अमिता महाजन, नई दिल्ली

लीची कर रही बीमार
एक्यूट इन्सफलाइटिस सिंड्रोम बीमारी है। इससे देश के बहुत से बच्चे मर जाते या अपाहिज हो जाते हैं। हालांकि इन्सफलाइटिस कई प्रकार का होता है। बच्चों के द्वारा कच्ची लीची खाने पर उसमें से विषैली सामग्री निकलती है, जिससे बच्चे बीमार हो जाते हैं। ब्लडशुगर कम हो जाता है और मर जाता है। जापानी इन्सफलाइटिस क्यूलेक्स मच्छर के काटने से होता है। यह मच्छर पहले सूअर, फिर एक स्टोड नामक पंछी को काटता है। फिर बाद में दूसरों को काटकर बीमार करता है। इसके वैक्सीन से आंध्रप्रदेश सहित कई राज्यों में मौत का आंकड़ा घटा है।
– डॉ. एके दत्ता, ग्रेटर नोएडा


शिशु को पानी की कमी न होने दे

ज्यादातर ० से १ साल के बच्चों में किडनी खराब होने की ज्यादा संभावना रहती है। शरीर में पानी की कमी हो जाना, दस्त, बुखार व यूरीन कम पड़ जाना इत्यादि समस्याएं होती है। जन्मजात से शिशु किडनी रोगी बहुत कम होते हैं, क्योंकि आजकल अल्ट्रासाउंड से पहले ही पता लग जाता है। संक्रमण, डेंगू, टाइफाइड व मलेरिया में भी ज्यादा खतरा रहता है। समय पर अभिभावक चिकित्सक से संपर्क साध शिशु को बचा सकते हैं।
– डॉ. एएस वासुदेव, पीडियाट्रिक नेफ्रोलोजिस्ट, नई दिल्ली एम्स


बिना नींद चमकना खतरनाकदेश में बच्चों में मिर्गी, समय पर बच्चों का नहीं बोलना व दिमागी संक्रमण इन्सफलाइटिस व मैनेनजाइटिस बीमारी ज्यादा हंै। बच्चों का बगैर नींद लिए चमकना खतरनाक है, क्योंकि यह मिर्गी के लक्षण हैं। हालांकि सामान्यत कुछ दौरे बुखार के समय आते है, जिन्हें फ्रेबाइल सीजर कहा जाता है, जो मिर्गी नहीं होते। मिर्गी आदि की बीमारी में बाबाओं के चक्कर में नहीं फंसना चाहिए।- डॉ. प्रतिभा सिंघी, पीडियाट्रिक न्यूरोलोजी, गुरुग्राम

ज्यादातर इमरजेंसी में ५० फीसदी मौत पहले २४ घंटे मेंहमारे देश में लोग बीमारी को लेकर जागरूक कम हैं। बहुत कम पढ़े-लिखे लोग तुरंत बच्चों को अस्पताल ले जाते है। इंटेनशिव केयर यूनिट में ५० फीसदी मौत पहले २४ घंटे में हो जाती है। गांव-ढाणियों में हाथोंहाथ परिवहन की सुविधा नहीं है। एेसे में एबुंलेंस के प्रचलन के कारण थोड़ा काम आसान हुआ है। अस्पताल में २०० बेड में से २२ बैड आईसीयू के होने चाहिए, लेकिन एेसा होता नहीं है।
– डॉ. सुनीत सिंघी, पीआईसीयू एक्सपर्ट, गुरुग्राम (मूलत:जोधपुर)

Home / Jodhpur / अगर आप को लगता है कि पाउडर या दवा खाने से लंबाई बढ़ सकती है तो भ्रम में न पड़े क्योकि सामने आई है ये सच्चाई..

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो