सरदारपुरा थानाधिकारी भूपेंद्रसिंह का कहना है कि लॉरेंस विश्नोई दो ढाई
साल से पंजाब जेल में बंद है, फिर भी वह मोबाइल पर इंटरनेट कॉलिंग के
बूते गैंग चला रहा है। उसके साथी जोधपुर जेल पहुंचे तो स्थानीय बदमाश भी
लॉरेंस के सम्पर्क में आ गए और उसने सामान्य कॉलिंग के बजाय इंटरनेट
कॉलिंग बता दी। यही वजह है कि शहर में गत चार मार्च को रंगदारी के लिए
दहशत फैलाने वालों तक पहुंचने में पुलिस को आठ महीने लग गए। पुलिस का
दावा है कि सामान्य कॉलिंग होती तो बदमाश अपराध की शुरुआत में ही पकड़े
जा सकते थे।
आईटी विशेषज्ञ प्रिया सांखला ने बताया कि वर्तमान में सोशल नेटवर्किंग
साइट फेसबुक, व्हॉट्सअप व अन्य के माध्यम से कई अपराध हो रहे हैं। एफबी
तो 68 प्रतिशत मामलों में जानकारी उपलब्ध करवा देता है, लेकिन व्हॉट्सअप
व अन्य कोई भी डाटा नहीं देते हैं। सरकार ने डिजिटल सिस्टम तो बना दिया,
लेकिन इंटरनेट सर्विस देने वाली कम्पनियां, चाहे वे देश की हों या विदेश
की उनके लिए ऐसे नियम नहीं बनाएं कि वो पुलिस की मददगार साबित हो सके।