1983-84 से शहर में, अब होने वाले हैं रिटायर्ड शहर के कुछ क्षेत्रों में वर्ष 1983-84 में कार्यग्रहण करने वाले कई शिक्षक अभी तक एक ही जगह कार्यरत हैं। इनमें कुछ शिक्षक इसी साल व कुछ अगले साल रिटायर्ड होने वाले हैं, जबकि शिक्षा विभाग की स्टाफिंग पैटर्न जैसी प्रणाली में अधिशेष आदि रखने के हथकंडे भी इनके सामने फेल साबित हुए। ये शिक्षक भी लेवल-1 (एसटीसी किए हुए) हैं, यदि लेवल-2 (बीएड किए हुए) होते तो प्रमोशन देकर इन्हें बाहर भी लगाया जा सकता था। जबकि इसके अलावा कई
लेवल-2 के शिक्षकों ने शहर के मोह के चक्कर में प्रमोशन तक नहीं लिया, क्योंकि इनको प्रमोशन लेकर दूरस्थ स्कूल जाकर सेवाएं देनी पड़ती।
शहर की शहर में करवाते रहे स्थानांतरण सरकार की एक सूची अनुसार जोधपुर शहर में कई शिक्षक ऐसे हैं, जो हर सरकार के शासन में अपनी मर्जी के मुताबिक शहर की शहर में स्थानांतरण करवाते रहे। इनमें कइयों की स्कूलें मर्ज हुई है, लेकिन शहर की शहर में नौकरी होने के कारण इस पर उनका कोई विरोध नहीं हुआ। जबकि आज की तिथि में इनकी शहर अवधि में सेवा 30 साल से अधिक हो चुकी हैं।
खुद के गांवों की स्कूलों में जमे शहर के अलावा कई शिक्षक अपने पैतृक गांवों में जमे हैं, इस मामले में संबंधित बीईईओ व पीईईओ को भी सूचना हैं। इस तरह के शिक्षक प्रारंभिक सेटअप के बाद माध्यमिक शिक्षा विभाग में भी खूब हैं। ऐसे शिक्षक भी 15-20 सालों से अपने पैतृक गांवों में जमे हुए हैं। ये शिक्षक भी राजनेताओं की भारी अप्रोच के चलते अपनी मनमर्जी चला रहे हैं।
इनका कहना है तबादले संबंधी सभी
कार्य उच्चाधिकारियों के निर्देशानुसार होते है। ऐसे में सभी कार्रवाई अधिकारी स्तर पर होती है। जिस तरह के निर्देश आते है, वैसे कार्रवाई की जाती है। –
धर्मेन्द्र कुमार जोशी, डीईओ प्रारंभिक प्रथम