स्पॉट 1 : रोडवेज बस स्टैंड : काफी अच्छी व्यवस्था कर रखी है। प्रदेश के बाहर से आने वाली बसों के प्रत्येक यात्री का उतरते ही टेम्परेचर चेक किया जाता है। संदिग्ध लगने पर उसको अलग जांच रूप में आरटीपीसीआर के नमूने लिए जा रहे हैं। नमूने लिए गए व्यक्ति का पूरा ब्यौरा प्रशासन के साथ शेयर किया जाता है जिससे होम क्वारंटीन या संस्थागत क्वारंटीन किया जा सके।
स्पॉट : 2 : रेलवे स्टेशन : सुरक्षा चक्र काफी मजबूत है। कई लोग जो यात्रा करने जा रहे हैं उनसे रिपोर्ट पूछी जा रही है और जो ट्रेन से उतरते हैं उनकी भी 72 घंटे की रिपोर्ट मांगी जा रही है। लेकिन यदि कोई ज्यादा संक्रमित प्रदेश से नहीं है तो उसको ढील भी दी गई।
स्पॉट 3 : एयरपोर्ट : यहां एयरलाइंस ने खुद ही आरटीपीसीआर टेस्ट को अनिवार्य कर रखा है। पीपीई किट और फेस शिल्ड का भी उपयोग किया जाता है। आगमन पर यात्रियों की जांच होती है।
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खतरा यहां सबसे ज्यादा अब सबसे बड़ा खतरा निजी बसों को लेकर हैं। आरटीओ को शहर या जिला प्रवेश पर चेक पॉइंट बनाने के निर्देश थे, लेकिन इन बसों की कोई जांच नहीं हो रही। जबकि निजी ट्रेवल्स की बसें अंतर्राज्जीय स्तर पर सफर करती हैं। इनका कोई स्थाई स्टोपेज पॉइंट नहीं, ऐसे में एक स्थान पर सभी की रिपोर्ट भी नहीं जांची जा सकती।