script561वां स्थापना दिवस: प्रगति के पथ पर ‘राव जोधा’ का जोधपुर, जानें क्यों रखता है ख़ास पहचान | Jodhpur foundation day, know interesting and unknown facts | Patrika News
जोधपुर

561वां स्थापना दिवस: प्रगति के पथ पर ‘राव जोधा’ का जोधपुर, जानें क्यों रखता है ख़ास पहचान

561वां स्थापना दिवस: प्रगति के पथ पर राव ‘जोधा’ का जोधपुर, जानें क्यों रखता है ख़ास पहचान
 

जोधपुरMay 12, 2019 / 10:52 am

Nakul Devarshi

jodhpur foundation day
जोधपुर।

राजस्थान का जोधपुर शहर रविवार को अपना 561 वां स्थापना दिवस मना रहा है। इस खूबसूरत शहर की स्थापना राव जोधा ने 12 मई, 1459 ई को की थी। इसकी जनसंख्या 10 लाख के पार हो जाने के बाद से ही इसे राजस्थान का दूसरा “महानगर ” घोषित कर दिया गया था। यह यहां के ऐतिहासिक रजवाड़े ‘मारवाड़’ की राजधानी भी हुआ करता था। जोधपुर थार के रेगिस्तान के बीच अपने ढेरों शानदार महलों, दुर्गों और मन्दिरों वाला प्रसिद्ध पर्यटन स्थल भी है।
वर्ष पर्यन्त चमकते सूर्य वाले मौसम के कारण इसे ‘सूर्य नगरी’ भी कहा जाता है। यहां स्थित मेहरानगढ़ दुर्ग को घेरे हुए हजारों नीले मकानों के कारण इसे ‘नीली नगरी’ के नाम से भी जाना जाता था। यहां के पुराने शहर का अधिकांश भाग इस दुर्ग को घेरे हुए बसा है, जिसकी प्रहरी दीवार में कई द्वार बने हुए हैं, हालांकि पिछले कुछ दशकों में इस दीवार के बाहर भी नगर का वृहत प्रसार हुआ है। जोधपुर की भौगोलिक स्थिति राजस्थान के भौगोलिक केन्द्र के निकट ही है, जिसके कारण ये नगर पर्यटकों के लिये राज्य भर में भ्रमण के लिये उपयुक्त आधार केन्द्र का कार्य करता है।
वर्ष 2014 के विश्व के अति विशेष आवास स्थानों (मोस्ट एक्स्ट्रा ऑर्डिनरी प्लेसेज़ ऑफ़ द वर्ल्ड) की सूची में प्रथम स्थान पाया था। भारतीय सिनेमा की सबसे महंगी फिल्मों में से एक तमिल फ़िल्म ‘आई’ की शूटिंग भी यहां हुई थी।
https://twitter.com/hashtag/Jodhpur?src=hash&ref_src=twsrc%5Etfw
जोधपुर रखता है अलग पहचान
सूर्य नगरी के नाम से प्रसिद्ध जोधपुर शहर की पहचान यहां के महलों और पुराने घरों में लगे छितर के पत्थरों से होती है, 15वी शताब्दी का विशालकाय मेहरानगढ़ दुर्ग, पथरीली चट्टान पहाड़ी पर, मैदान से 125 मीटर ऊंचाई पर विद्यमान है। आठ द्वारों व अनगिनत बुजों से युक्त यह शहर दस किलोमीटर लंबी ऊंची दीवार से घिरा है।
16वीं शताब्दी का मुख्य व्यापार केन्द्र, किलों का शहर जोधपुर, अब राजस्थान का दूसरा विशालतम शहर है। पूरे शहर में बिखरे वैभवशाली महल, किले और मंदिर, एक तरफ जहां ऐतिहासिक गौरव को जीवंत करते हैं वही दूसरी ओर उत्कृष्ट हस्तकलाएं लोक नृत्य, संगीत और प्रफुल्ल लोग शहर में रंगीन समां बांध देते हैं।
पहनावा भी है आकर्षक
कलात्मक रूप से बनी हुई रंगबिरंगी पोशाकें पहने हुए लोगों को देखकर प्रतीत होता हैं कि जोधपुर की जीवनशैली असाधारण रूप से सम्मोहित करने वाली है। औरतें घेरदार लहंगा और आगे व पीछे के हिस्सों को ढकने वाली तीन चौथाई लंबाई की बांह वाली नितम्ब स्थल तक की जैकेट पहनती हैं। पुरुषों द्वारा पहनी हुई रंगीन पगड़ियाँ शहर में ओर भी रंग बिखेर देती हैं। आमतौर से पहने जाने वाली ढ़ीली ढ़ाली और कसी, घुड़सवारी की पैंट जोधपुरी ने यहीं से अपना नाम पाया। जोधपुर के कपड़ों में जोधपुरी कोट पूरे भारत में प्रसिद्ध है।
‘एजुकेशन हब’ बन रहा शहर
जोधपुर शिक्षा के क्षेत्र में भी बहुत आगे निकल आया है। दूर-दूर से विद्यार्थी यहां पढ़ने के लिए आते है। जोधपुर को सीए कि खान कहा जाता है। पूरे भारत में सबसे ज्यादा सीए यहीं से निकलते है। शिक्षा के लिये यहां पर विकल्प मौजूद है। यहाँ विश्व प्रसिद्ध आईआईटी , नेशनल लो युनिवर्सिटी, एम्स, काजरी , आफरी आयुर्वेदिक विश्वविद्यालय स्थित है। इनके अलावा जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय हैं। तथा साथ ही बालिकाओं के लिए भी कॉलेज है। जोधपुर में लगभग हर गांव में विद्यालय है।
दुनियाभर में मशहूर है हस्तशिल्प
उत्कृष्ट हस्तशिल्पों के समृद्ध संग्रह का रंगीन प्रदर्शन देखकर जोधपुर के बाजारों में खरीददारी करना एक उत्साहपूर्ण अनुभव है। बंधेज का कपड़ा, कशीदाकारी की हुई चमड़े, ऊंट की खाल, मखमल की जूतियां आकर्षक रेशम की दरियां मकराना के संगमरमर से बने स्मृतिचिन्ह, उपयोगी व सजावटी वस्तुओं की विस्तृत किस्में आदि इन बाजारों में पाई जाती हैं।
ये भी हैं उपलब्धियां
जोधपुर को राजस्थान की न्यायिक राजधानी कहा जाता है, राजस्थान का उच्च न्यायालय भी जोधपुर में ही स्थित है। जोधपुर पूरे विश्व से जुड़ने के लिये अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा भी मौजुद है। पूरे राजस्थान के प्रसिद्ध विभाग जैसे मौसम विभाग, नार्कोटिक विभाग सीबीआइ, कस्टम, वस्त्र मन्त्रालय आदि मौजूद है।

Home / Jodhpur / 561वां स्थापना दिवस: प्रगति के पथ पर ‘राव जोधा’ का जोधपुर, जानें क्यों रखता है ख़ास पहचान

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो