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जोधपुर

जोधपुर में यूं मंडराने लगा है हैंडीक्राफ्ट उद्योग पर खतरा, ये है सबसे बड़ी वजह

शीशम से बने हस्तशिल्प उत्पादों के निर्यात में जबरदस्त गिरावट आने से जोधपुर का हैण्डीक्राफ्ट उद्योग संकट के दौर से गुजर रहा है। शीशम के बने हैण्डीक्राफ्ट उत्पादों का निर्यात करीब 40 प्रतिशत घट गया है।

जोधपुरJun 12, 2017 / 06:23 am

Harshwardhan bhati

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शीशम से बने हस्तशिल्प उत्पादों के निर्यात में जबरदस्त गिरावट आने से जोधपुर का हैण्डीक्राफ्ट उद्योग संकट के दौर से गुजर रहा है। इसका मुख्य कारण अन्तरराष्ट्रीय संस्था कन्वेशन ऑन इंटरनेशनल ट्रेंड इन एनडेंजर्ड ऑफ वाइल्ड फ ाउना एंड फ्लोरा (साईटस) द्वारा शीशम की लकड़ी के व्यावसायिक गतिविधियों पर 2 जनवरी 2017 से प्रतिबंध लगाना है। इसके बाद भारत सरकार की ओर से इस पर रिर्जवेशन फ ाइल किया गया व साईटस द्वारा वृक्ष सर्टिफिकेट को कम्पेयरबल डॉक्यूमेंट व साईटस एनओसी मान लिया गया था, जिसके तहत कोई भी भारतीय निर्यातक वृक्ष शिपमेंट सर्टिफि केट लेकर निर्यात कर सकता है। लेकिन वृक्ष सर्टिफिकेट लेने में भी निर्यातकों को कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है।
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6 माह में 220 करोड़ का ही निर्यात

पिछले 6 माह में निर्यात 40 प्रतिशत टूट चुका है। जोधपुर से शीशम के बने हैण्डीक्राफ्ट उत्पादों का प्रतिवर्ष 800 से 900 करोड़ का निर्यात होता था, जो पिछले 6 माह में केवल 220 करोड़ का ही हो पाया है। शीशम के बने हैण्डीक्राफ्ट उत्पादों का निर्यात करीब 40 प्रतिशत घट गया है।
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10 प्रतिशत महंगी हुई शीशम की लकड़ी

जनवरी 2017 से शीशम के साथ ही बबूल व आम की लकड़ी में भी उछाल आया है। पिछले 6 माह में 2 बार लकड़ी के भावों में बढोतरी दर्ज की गई है। शीशम की लकड़ी 10 प्रतिशत महंगी हुई है, लेकिन शीशम से दूसरी लकड़ी पर शिफ्ट हुए निर्यातक अब बबूल व आम पर ही ज्यादा से ज्यादा काम कर रहे हैं। इस कारण इन लकडि़यों की अधिक मांग व सीमित खपत के चलते इन दोनों लकडि़यों के भावो में 20 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है।
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ग्राहक वियतनाम व इंडोनेशिया का रुख कर रहे

विदेशी बॉयर्स ने शीशम के हैण्डीक्राफ्ट ऑर्डर देने से दूरी बना ली है। कई निर्यातक भी शीशम के ऑर्डर्स नहीं ले रहे है। शीशम के भावो में भी निरन्तर बढ़ोतरी के कारण भारत के निर्यातक वियतनाम व इंडोनेशिया से महंगा माल बेचने को मजबूर है, इस कारण इन देशों से प्रतिस्पर्धा में भी पिछड़ रहे है। जो विदेशी ग्राहक पहले भारत के निर्यातकों से माल लेते थे, वे अब वियतनाम व इन्डोनेशिया की ओर रुख कर रहे हैं। एसोसिएशन की ओर से केन्द्र सरकार तक मांग पहुंचाई गई है, उम्मीद है जल्द ही इस समस्या का हल निकलेगा।
-डॉ. भरत दिनेश, अध्यक्ष, जोधपुर हैण्डीक्राफ्ट एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन

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