इन प्रस्तुतियों पर झूमे देशी-विदेशी दर्शक
गोरी थारो पिवरो…, जलालो-बिलालो, मारू मतवारो…, दमा दम मस्त कलंदर…, चुड़ी चमके रे…, ले तो जाइजे रे दिलड़ों दे तो जाइजे… जैसे लोक गीत की प्रस्तुति 13 साल के लोक कलाकार इरफाना खान लंगा, अनिस खान लंगा (13 वर्ष) , इकबाल खान लंगा (9 वर्ष), आसिफ खान लंगा (11 वर्ष) , कालू खान लंगा (13 वर्ष), असलम खान लंगा (14 वर्ष), राहिल खान लंगा (11 वर्ष) ने दी। इसके साथ ही लोक नृत्य कलाकार कुसुम कच्छवाह व द्रोपदी कच्छवाह ने चुड़ी चमके… व दमा दम मस्त कलंदर… गीत पर नृत्य की प्रस्तुति दी। इसी क्रम में शफी मोहम्मद ने सारंगी वादन, शकुर खान लंगा ने अलगाजा, मोरचंग वाद्य यंत्र, सद्दाम खान लंगा ने सारंगी, सरवन खान लंगा ने खरताल बजाने, इकबाल खान लंगा ने ढोलक बजाने की प्रस्तुति दी। जिसे विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर लाइव देख रहे हजारों लोगों ने सराहा।राजस्थानी लोक कला को जिंदा रखने वालों का उत्थान करना उद्देश्य
जयपुर स्थित मीडिया एडवोकेसी संस्थान लोक संवाद संस्थान की ओर से राजस्थान के लोक कलाकारों के लिए सोशल मीडिया कैम्पेन ‘मरु मणिÓ के माध्यम से अभिनव योजना शुरू की गई। इसमे राजस्थान के अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त कलाकारों को एक प्लेटफॉर्म उपलब्ध करवाना उद्देश्य है। ताकि उन्हें जीविका यापन में सहायता मिल सके। इस अभियान में लोक संवाद संस्थान, रूपायन संस्थान, जोधपुर (अनुसंधान पार्टनर), एपीजे इंस्टिटीयूट ऑफ मास कम्युनिकेशन दिल्ली (सोशल मीडिया पार्टनर) और दी यूनिवर्सिटी ऑफ पेट्रोलियम एंड एनर्जी स्ट्डीज (यूपीईएस) के पत्रकारिता विभाग देहरादून (एकेडमिक पार्टनर) सामूहिक रूप से सोशल मीडिया के माध्यम से राजस्थान के मरुस्थली लोक कलाकारों के उत्थान के लिए ‘मरु मणिÓ नामक कैम्पेन शुरू किया है। जिसके माध्यम से जागरुकता एवं लोक कलाकारों के लिए आर्थिक सहायता की जा सके। जिसके लिए लोक संवाद संस्थान ने क्राउड फंडिंग प्लेटफॉर्म भी शुरू किया है।– कुलदीप कोठारी, सचिव रूपायन संस्थान
कोरोना ने छीना काम कैसे चलाए घर
अमेरिका, फं्रास, जापान सहित २५ से अधिक देशों में राजस्थानी लोक नृत्य भवाई, घूमर सहित अन्य लोक गीतों पर प्रस्तुति देकर खूब प्रशंसा व सम्मान प्राप्त किया। लेकिन कोरोना के कारण पिछले दो माह से अधिक समय से घर बैठे है। आगे भी कुछ माह तक हमें काम मिलने की उम्मीद कम ही नजर आ रही। ऐसे में घर खर्च चलाने में भी इन दिनों आर्थिक परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। रूपायन संस्थान की ओर से हमारे लिए प्रयास किया जा रहा है। सरकार से भी अपील करते है कि हम लोक कलाकारों के लिए कुछ आर्थिक पैकेज की घोषणा करें।
लॉकडाउन में जेब हो गई डाउन
जोधपुर के बलदेव नगर सहित अन्य कई मोहल्लों में करीब दो हजार परिवार रहते है। जो लोक नृत्य व लोक गीतों की प्रस्तुतियां देकर अपना जीवन यापन करते है। लॉकडाउन में अधिकतर कलाकारों की जेब डाउन हो गई। दुनिया भर में राजस्थानी लोक कला की प्रस्तुति देने वाले बड़े-बड़े कलाकारों को भी घर चलाने में दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। लोक कलाकारों के उत्थान के लिए रूपायन संस्थान नेक काम कर रही है। सरकार से भी उम्मीद है कि वह हमारे लिए कुछ करें।