एसीबी का कहना है कि प्रेमाराम ने अपने कार्यकाल के दौरान जिन-जिन लोगों को जमीन आवंटित की थी, उन प्रत्येक से रिश्वत के रूप में दस-दस, बीस-बीस हजार रुपए वसूल करने थे। जो करीब बीस लाख रुपए होते हैं। दलाल के मार्फत वो दस लाख रुपए सेवानिवृत्त होने से पहले ही वसूल कर चुका था। दस लाख रुपए बाकी थे। इनमें से पांच लाख रुपए दलाल नजीर खां ने एकत्रित किए थे। उसने शुक्रवार रात बाड़मेर स्थित आवास पर प्रेमाराम को यह रुपए दिए थे। तभी ब्यूरो ने दबिश देकर दोनों को पकड़ लिया था।
एसीबी का कहना है कि पोंग बांध विस्थापितों को भूमि आवंटिन कराने के बाद दलाल उन्हें कुछ रुपए देकर जमीन किसी अन्य के नाम बेचान करवाई जाती थी। फिर दलाल जमीन को तीसरी पार्टी को ऊंची कीमतों में बेच देते थे। इसके साथ ही दलाल को वसूली में भी कमीशन दिया जा रहा था। इस पूरे खेल में कम से कम बीस से पच्चीस दलाल सक्रिय हैं। इनमें से दस दलाल व प्रेमाराम पर एसीबी पिछले एक माह से नजर रखे हुए थी।