हाइवे पर हर माह होते है घायल जोधपुर-पाली हाइवे पर सड़क पार करते समय हर माह 20 से 25 वन्यजीव घायल होते है उनके से अधिकांश समय पर चिकित्सा नहीं मिलने पर सड़क पर दम तोड़ देते है। कुछ यदि बच जाते है तो उन्हें जोधपुर के वन्यजीव चिकित्सालय में रेफर कर दिया जाता है।
फिर भी नहीं लिया सबक कुछ समय पहले रोहट तहसील में ‘रानीखेतÓ बीमारी की चपेट मे आने से बड़ी संख्या में मोरों ने दम तोड़ दिया था। क्षेत्रीय वन्यजीव प्रेमियों के प्रयासों से जोधपुर के रेस्क्यू सेंटर भेजने के कारण करीब 200 मोरों को समय पर उपचार मिलने के कारण बचा लिया गया।
जर्जर हो रहा भवन रोहट का रेस्क्यू सेंटर का भवन लगातार अनदेखी के कारण जर्जर होने लगा है। तीन बड़े पिंजरे जगह जगह से क्षतिग्रस्त होते जा रहे है। पानी का हौद भी जगह जगह से जर्जर हो चुका है। रात्रि के समय वीरान रेस्क्यू सेंटर में शराबियों की महफिल सजने लगती है।
तीन साल से गुहार लगाकर थक चुके है। वर्ष 2018 में बने रेस्क्यू सेंटर को सुचारू रूप से शुरू करने एवं घायल वन्यजीवों की नियमित देखभाल के लिए वन विभाग और जिला कलक्टर को कई बार ज्ञापन दे चुके है लेकिन वन्यजीवों की सुरक्षा व संरक्षण के जिम्मेदार कर्मचारी घायल वन्यजीवों को गौशाला में सुपुर्द कर औपचारिकता का निर्वहन कर रहे है।
-ललित पालीवाल, वन्यजीवप्रेमी व राष्ट्रीय उपाध्यक्ष कामधेनू सेना