आवश्यकता है अनुसंधान से संरक्षण की – डॉ. बोहरा ने बताया कि शीतकालीन प्रवास पर कुरजां के अलावा कई अन्य पक्षी भी जोधपुर, जैसलमेर, बाड़मेर सहित प्रदेश के जिलों में आते है। एैसे में इन स्थानों को चिन्हित करके प्रवासी पक्षियों के संरक्षण के प्रयास किए जाने चाहिए। संरक्षण में विदेशों में किए जा रहे अनुसंधान काफी उपयोगी साबित हो सकते है। जिससे कुरजां व अन्य पक्षियों के प्रवसन व प्रवास स्थलों पर खतरों से बचाया सकता है। साथ ही सैंन्ट्रल एशिया बर्ड माइग्रेशन पाथ में पक्षियों के लिए खतरों को कम किया जा सकता है। (कासं)
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