जोधपुर

ये है सबसे खतरनाक बीमारी, इसके एक इंजेक्शन की कीमत है 14 करोड़ रुपए, जिंदगी हो जाती है बेहाल

Spinal muscular atrophy disease : राजस्थान में स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी से पीड़ित पांच हजार से अधिक बच्चे हैं, लेकिन शिशु रोग विशेषज्ञ सहित अन्य डॉक्टरों को खुद को इस बीमारी के बारे में पता नहीं होने से मरीज इलाज से वंचित है

जोधपुरMar 11, 2024 / 09:27 am

Rakesh Mishra

Spinal muscular atrophy disease : कुछ न्यूरोलॉजिस्ट के अनुसार ब्रिटेन के प्रसिद्ध वैज्ञानिक स्टीफन हॉकिंग को वयस्क अवस्था में स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी (एसएमए) बीमारी भी हो गई थी, जिसमें हाथ-पैरों सहित अन्य मांसपेशियां काम करना बंद कर देती हैं। मरीज हाथ से पानी भी नहीं पी सकता। यह जन्मजात आनुवंशिक बीमारी हर दस हजार में से एक शिशु को होती है। एक अनुमान के मुताबिक राजस्थान में स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी से पीड़ित पांच हजार से अधिक बच्चे हैं, लेकिन शिशु रोग विशेषज्ञ सहित अन्य डॉक्टरों को खुद को इस बीमारी के बारे में पता नहीं होने से मरीज इलाज से वंचित है। एम्स जोधपुर में वर्तमान में स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी से पीड़ित केवल 80 बच्चों का इलाज चल रहा है। एसएमए दुनिया की सबसे महंगी बीमारियों में से एक है। इलाज के लिए भी केवल 3 दवाइयां उपलब्ध है और तीनों आम आदमी तो छोड़िए सरकार की पहुंच से भी बाहर है।
क्यों होती है एसएमए
एसएमए ऑटोसोमल जीन में खराबी की वजह से होती है। क्रोमोसोम-5 में मौजूद सर्वाइवल मोटर न्यूरोन (एसएमए) जीन में गड़बड़ी की वजह से होती है। एसएमए जीन एसएमए प्रोटीन का स्त्रवण करता है जो मांसपेशियों के मूवमेंट के लिए आवश्यक है। इसके नहीं होने से मांसपेशियां कमजोर होकर खराब हो जाती हैं।

01- जोलजेस्मा इंजेक्शन: यह जीन थैरेपी है। एक इंजेक्शन 14 करोड़ का है। एक ही डोज दी जाती है। इसके बाद भी मरीज के पूरी तरह स्वस्थ होने की गारंटी नहीं है।
02- स्पिनरजा इंजेक्शन: यह भी जीन थैरेपी है। एक इंजेक्शन 87 लाख का है। मरीज को 5-7 इंजेक्शन चाहिए।
03- रेसिडिपियान: यह 60 मिलीग्राम दवाई है जो 6 लाख रुपए की आती है। यह टाइप-2 और टाइप-3 मरीजों को दी जाती है।
5 टाइप की है बीमारी
टाइप 0: इसमें रोगी की गर्भ में ही मौत हो जाती है।
टाइप 1: शिशु एक साल तक ही जीता है।
टाइप 2: सपार्टिव ट्रीटमेंट व फिजियोथैरेपी देकर जिंदा रखा जाता है।
टाइप 3: मरीज चलते-फिरते हैं, लेकिन सीढ़ियां नहीं चढ़ सकते। भाग-दौड़ नहीं कर सकते।
टाइप 4: वयस्क में होती है। एसएमए से पीड़ित बच्चों के माता-पिता में होती है।
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इस बीमारी के बारे में डॉक्टरों को भी पता नहीं होने से पहचान मुश्किल हो जाती है। हम थैरेपी, मांसपेशियों को मजबूत करने की दवाइयां, केल्शियम जैसे सपोर्टिव ट्रीटमेंट देकर मरीजों को जिंदा रखते हैं।
– डॉ. लोकेश सैनी, पीडियाट्रिक न्यूरोलॉजिस्ट, एम्स जोधपुर
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