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जोधपुर

पत्रिका टॉक शो में फूटा विद्यार्थियों का रोष, कहा छात्रनेता करते कुछ नहीं, बस दोहराते हैं वादे

छात्राओं ने कहा जरूरत पड़ी तो करेंगी ‘नोटा’ का इस्तेमाल
 

जोधपुरSep 09, 2018 / 12:10 pm

Harshwardhan bhati

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जोधपुर. कमला नेहरु गल्र्स कॉलेज की छात्राओं का कहना है कि छात्र नेताओं के इस साल भी वही मुद्दे हैं जो पिछले साल थे। वादे भी वही किए जा रहे हैं जो पिछले साल किए गए थे। समय बदल गया लेकिन मुद्दे व वादे वही हैं। पत्रिका की ओर से आयोजित टॉक शो में अधिकांश छात्राओं ने अपनी सुरक्षा, लाइब्रेरी में पुस्तकों की दयनीय स्थिति और कक्षाएं नहीं लगने से जैसे मुद्दे बताए। छात्राओं का कहना है कि जब छात्र नेता इन मूलभूत वादों को भी पूरे करने में नाकाम रहते हैं तो कम्प्यूटर, मोबाइल, नेटवर्र्किंग व सोशल मीडिया जैसे मुद्दे कैसे बताएं। छात्राओं ने कहा कि वे जरूरत पडऩे पर नोटा (इसमें से कोई नहीं) विकल्प का इस्तेमाल करने से भी नहीं चूकेंगी।
कॉलेज में खेल के लिए कुछ नहीं


‘हमारे कॉलेज में खेल की गतिविधियों के लिए खास कुछ नहीं है। खेल के लिए न तो मैदान है और ना ही सामग्री। अगर कोई छात्रा खेलों में अपना कॅरियर बनाना चाहती है तो उसे निराश होना पड़ता है। छात्र नेताओं ने इस मामले में चुप्पी साध रखी है।
आकांक्षा सिंह भाटी, राष्ट्रीय जिम्नास्टिक खिलाड़ी

प्रत्याशियों में सच्चाई नहीं


‘मैंने देखा कि सभी प्रत्याशी केवल वादे पर वादे कर रहा है। कोई यह नहीं सोच रहा है कि वादे पूरे कैसे होंगे। चुनाव में एक ऐसा छात्र नेता चाहिए तो पूरी ईमानदारी के साथ चुनाव लड़े। चाहे उसे हार का सामना करना पड़े लेकिन हार में सच नजर आए।
ज्योति सिंह राजपुरोहित, बीए द्वितीय वर्ष

छात्राओं के लिए नि:शुल्क बसें हो


‘कई छात्राएं झालामण्ड, पाल, सांगरिया जैसे दूरदराज के क्षेत्रों से पढऩे के लिए आती हैं। छात्र नेताओं को चाहिए कि इनके लिए प्रशासन के साथ मिलकर नि:शुल्क बसों की व्यवस्था करें। अगर यह काम कर देते हैं तो लगेगा कि चुनाव व्यर्थ नहीं गया।
सुरभि बोराणा, बीए द्वितीय वर्ष

कैंटीन तो खुलवाइए


‘विवि के पुराना परिसर में कैंटीन नहीं है। अन्य कैंपस के भी यही हाल है। पढऩे के लिए आने वालों को इसके लिए कैंपस से बाहर की ओर रुख करना पड़ता है। छात्र नेता केवल वादे करके चले जाते हैं। सालों से कैंटीन कभी नहीं खुली है।
स्नेहा, एलएलबी प्रथम वर्ष

माइक्रोस्कोप नहीं, स्लाइडेंट टूटी


‘कॉलेज में विज्ञान की प्रयोगशालाओं का बहुत बुरा हाल है। प्रयोगशाला में कई उपकरण पुराने हैं। माइक्रोस्कोप नहीं है। स्लाइडें टूटी पड़ी हैं। हम तो प्रयोग करें तो करें कैसे? गेस्ट फैकल्टी पढ़ाने के लिए लगा रखी हैं, वह भी समय पर कक्षा में नहीं आते।
भूमिका बोराणा, बीएससी द्वितीय वर्ष

नोटा का विकल्प इस्तेमाल करना होगा


‘छात्र नेताओं के हर साल वही वादे हैं। न तो परीक्षा परिणाम समय पर आता है और ना ही पुनर्मूल्यांकन परिणाम। प्रवेश सूचियां भी देरी से जारी होती है। कक्षाओं में शिक्षक नहीं मिलते। मुझे लगता है कि इनके लिए नोटा का इस्तेमाल किया जाना चाहिए।
वनिता धनाढिया, बीए द्वितीय वर्ष

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