ASLO READ- अंधी भक्ति या सच्चा विश्वास: इस गांव में गुरु की तस्वीर देख भक्त करने लगते हैं अजीब हरकतें 18 सेकंड में साफा बांध जीता खिताब प्रमोद ने बताया कि साफे बांधने की कला ने उनको जिला स्तर व राज्य स्तर तक कई पुरस्कार दिलाए हैं। वह मारवाड़ समारोह व जोधपुर स्थापना दिवस पर आयोजित होने वाले समारोह में होने वाली साफा बांधने की प्रतियोगिता में भाग लेकर खिताब जीत चुके हैं। इसके अलावा फरवरी माह में जैसलमेर में आयोजित मरु मेले में अपनी कला का प्रदर्शन किया और 18 सैकेण्ड में साफा बांधकर खिताब जीता।
बचपन से ही शौक प्रमोद जब 15 साल के थे, तब अपने पिता से साफा बांधने की कला को सीखना शुरू किया। उसके बाद वह अभ्यास करते रहे। उन्होंने बताया कि साफे कई शैलियों में बांधे जाते हैं, लेकिन जोधपुर में राठौड़ी पेंच का चलन बहुत ज्यादा है, जो विश्वविख्यात है और दिखने में भी सुन्दर लगता है।
शिष्य कर रहे तैयार रेलवे में कार्यरत प्रमोद ने बताया कि साफा बांधने की कला प्राचीन परंपरा है, इसके लिए मैं युवा पीढ़ी को यह कला सिखा रहा हूं। हाल ही विशेष शिविर आयोजित कर प्रशिक्षण दिया था, तांकि आने वाली पीढ़ी भी इस कला से परिचित रहे।