इस बार वर्ष पर्यंत किसी भी प्रकार के विशेष ग्रहण की स्थिति नहीं बन रही है, जो भी ग्रहण बनेंगे, वह भारत के मूल भूमि से अलग सामुद्रिक तटों से संबंधित रहेंगे तथा अन्य देशों की सीमाओं से संबंधित होंगे। उसमें भी खास तौर पर इन ग्रहों की स्थिति अमेरिका, यूरोप, ऑस्ट्रेलिया, साउथ अफ्रीका, कैनेडा आदि देशों में समय-समय पर दिखाई देंगी। इनका प्रभाव व दर्शन पूर्वोत्तर के राष्ट्रों एवं कहीं – कहीं दक्षिण पश्चिमी देशों में दिखाई देगा।
वैशाखी पूर्णिमा 26 मई को चंद्रग्रहण भारत में मान्द्य रूप में दृश्य होगा। यहां ग्रहण नहीं लगकर चन्द्रबिम्ब विरल छाया में दिखाई देगा। खगोलीय एवं ज्योतिषी गणना के आधार पर यह ग्रहण मान्य नहीं हैं , क्योंकि ग्रहण का समय एवं ग्रहों का अंश तथा कला के आधार पर निरूपित होना दर्शाता है । पं. ओमदत्त शंकर ने बताया कि इस तरह के ग्रहण पर दान-पुण्य, सूतक, स्नान, नियम की कोई मान्यता नहीं होती है। भारतीय समय मे चन्द्रग्रहण दोपहर 2.17 बजे से शुरू होकर शाम 6.22 बजे मोक्ष होगा। इसी तरह 10 जून को कंकणाकृति सूर्यग्रहण का भारत में दृश्यमान नहीं होने से धार्मिक दृष्टि से कोई महत्व नहीं है। यह रूस, मंगोलिया, यूरोप और चीन के पश्चिमी भाग में दिखाई देगा।
10 जून कंकणाकृति सूर्यग्रहण 19 नवंबर खंडग्रास चंद्रग्रहण
4 दिसंबर खग्रास सूर्यग्रहण