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जोधपुर

ओसियां में जातिय समीकरण से तय होगा जीत का फार्मूला

ओसियां विधानसभा : कांग्रेस की दिव्या चुनाव में आक्रामक हैं, तो भाजपा के भैराराम लो प्रोफाइल रहकर मैदान में डटे हैं। यहां पिछली बार महेन्द्र भाटी ने त्रिकोणीय मुकाबला बनाया था। इस बार राजपूत वोट बैंक डिसाइडिंग फेक्टर होगा।

जोधपुरNov 20, 2023 / 09:42 pm

Sandeep Purohit

ओसियां में जातिय समीकरण से तय होगा जीत का फार्मूला

कांग्रेस प्रत्याशी दिव्या मदेरणा व भाजपा प्रत्याशी भैराराम सियोल

जोधपुर. ओसियां में मदेरणा परिवार की तीसरी पीढ़ी अपनी विरासत को आगे बढ़ाने के लिए संघर्ष कर रही है। दिव्या मदेरणा ने ओसियां में शानदार जीत दर्ज कर परिवार के बूते राजस्थान की राजनीति में वाइल्ड कार्ड एंट्री ली थी। पर इस बार समीकरण बदले हुए हैं। भाजपा ने अपने प्रत्याशाी भैरा राम चौधरी को फिर मैदान में उतारा है। हनुमान बेनीवाल की राष्ट्रीय लोकत्रंतिक पार्टी ने इस बार भी किसी को मैदान में नहीं उतारा है। वहीं पिछली बार महेन्द्र सिंह भाटी ने भाजपा से बागी होकर चुनाव लड़ा और 35 हजार से ज्यादा वोट लिए थे। इस बार वह मैदान नहीं हैं। राजपूत समाज ने भाजपा प्रत्याशी भैराराम सियोल को समर्थन देने की बात कह दी है। पर क्या वास्तव में वे भैराराम चौधरी के समर्थन में लामबंद होंगे।
कांग्रेस से दिव्या मदेरणा आक्रामक होकर चुनावी मैदान में डटी हैं। अपने परंपरागत जाट वोट बैंक को एकजुट रखने का हरसंभव प्रयास कर रही हैं। अपना प्रचार अभियान भी वो खुद ही मैनेज कर रही हैं। सोशल मीडिया पर खूब चर्चा में रहती हैं। वहीं भाजपा के भैरा राम चौधरी लो प्रोफाइल रहकर चुनाव लड़ रहे हैं। उनका फोकस गांवों और ढाणियों पर ज्यादा है। कांग्रेस का कोई बड़ा स्टार प्रचारक अब तक दिव्या मदेरणा के लिए प्रचार करने नहीं आया है। भाजपा की ओर से राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नडडा की सभा हो चुकी है। उनकी सभा के बाद भाजपा के कार्यकर्ता चार्ज हुए हैं। भाजपा को एंटीइनकमबेंसी अलावा राजपूतों से भी उम्मीद है। माली समाज की भी यहां महत्वपूर्ण भूमिका रहेगी। अशोक गहलोत के चलते उनका झुकाव दिव्या के प्रति हो सकता है। पर जब हमने संजय सौलंकी से बात की तो उन्होंने दिव्या की तल्ख भाषा पर नाराजगी जताई।
महिलाएं बोलीं- मोटियार जिसको कहेंगे उसको वोट देंगे
पत्रिका की टीम जब ग्राउंड में पहुंची तो सबसे पहले उम्मेद नगर में बैठी महिलाओं से बात की। वहां बैठी महिलाओं ने कहा कि हम अपने मोटियार (पति) के कहे अनुसार वोट देंगी। रतन दबी जुबां में कहती हैं कि हमारे घर वाले ही तय करते आए हैं। वो जिसको कहेंगे उसको वोट देंगे। यह स्थिति तब है जब यहां से वर्तमान विधायक भी महिला है। इक्कीसवी सदी में आधुनिक भारत महिलाओं की यह स्थिति अच्छी नहीं है। उनकी अपनी स्वतंत्र राय होनी चाहिए।
कुछ विकास हुआ है, अभी बहुत कुछ करना बाकी है

ओसियां कस्बे में मंदिर से चंद कदम दूर मिले लोगों ने बताया कि हम परम्परागत विचार से ही वोट देते हैं। रमेश कुमार बताते हैं कि कस्बे की समस्याएं सालों से यथावत हैं, लेकिन यहां सच्चियाय माता के आशीर्वाद से पर्यटन बढ़ा है। कुछ विकास हुआ है, अभी बहुत कुछ करना बाकी है। यहां बाजार विकसित हो गया है पर गलियां तंग हैं। जीत हार पर यहां के लोगों की अलग-अलग राय है। समाजों के निर्णय चुनाव को निश्चित तौर पर प्रभावित करेंगे। यहां के चुवाव में दिलचस्प चर्चा यह है कि दिव्या जीतेगी या हारेगी। इसी के ईद गिर्द सारी राजनीति घूम रही है।
किसानों को साध कर ही सत्ता में आएंगे

इस क्षेत्र में किसान हित बहुत मायने रखता है। जिसने किसानों को साध लिया वह सत्ता का सुख भोग लेता है। ओसियां कस्बा तो अब पर्यटन बढ़ने से विकास ही राह पर है। लेकिन दूसरी ओर गांवों में आधारभूत सुविधाओं का अभाव है। यहां आज भी नहरी पानी नहीं पहुंचा है। भूमिगत जल के ही भरोसे हैं।

क्षेत्र के प्रमुख मुद्दे
– शहरी क्षेत्रों का सम्पूर्ण विकास नहीं हुआ।
– किसानों की समस्याओं पर कोई ध्यान नहीं देता।
– गांवों में आज भी बेहतर ट्रांसपोर्ट व सड़क सिस्टम का अभाव है।
तीन प्रमुख वादे – कांग्रेस
– सभी धर्म-जाति के लोगों यानि 36 कौम के लिए काम करवाएंगे।
– गरीब, किसान की गाढ़ी कमाई लूटने नहीं देंगे।
– शिक्षा और कृषि सुविधाएं बढा़ने लिए काम करेंगे।
तीन प्रमुख वादे – भाजपा
– भ्रष्टाचार मिटाकर सुशासन लाएंगे।
– राष्ट्रवाद के रास्ते पर चलते हुए क्षेत्र के लिए विकास करवाएंगे।
– ओसियां को सशक्त व समर्थ बनाएंगे।

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