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जोधपुर

IMD Monsoon Alert: आखिरकार मानसून ने दिया बड़ा झटका, इतने दिनों का लगा ब्रेक, सामने आई बड़ी जानकारी

प्रदेश में 31 जुलाई तक सामान्य से 71 प्रतिशत अधिक बारिश (IMD Monsoon Alert) हो रखी थी, लेकिन लगातार बरसात नहीं होने से गुरुवार तक यह घटकर 45 प्रतिशत पर आ गई

जोधपुरAug 11, 2023 / 09:30 am

Rakesh Mishra

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जोधपुर। समय से पहले आए मानसून ने करीब 15 दिन का ब्रेक लिया है। मानसून (IMD Monsoon Alert) की ट्रफ लाइन हिमालय की तहलटी पर सरक गई है, जिससे उत्तराखण्ड के पहाड़ी इलाकों पर झमाझम बारिश हो रही है। इसको पांच दिन हो गए हैं और अगले दस दिनों तक ऐसी ही स्थिति रहेगी। ट्रफ लाइन अपनी सामान्य स्थिति (राजस्थान के ऊपर) 20 अगस्त के आसपास आएगी तब जाकर वापस बारिश का मौसम बनेगा।
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इस सप्ताह प्रदेश के अधिकांश हिस्सों में बारिश नहीं होने से अब बरसात का आधिक्य घट गया है। प्रदेश में 31 जुलाई तक सामान्य से 71 प्रतिशत अधिक बारिश (IM monsoon on Alert) हो रखी थी, लेकिन लगातार बरसात नहीं होने से गुरुवार तक यह घटकर 45 प्रतिशत पर आ गई। बीस अगस्त होते-होते प्रदेश में समग्र तौर पर बारिश का आंकड़ा सामान्य के आसपास आ जाएगा।
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क्या है ट्रफ लाइन

मानसून की ट्रफ लाइन दरअसल एक कम दबाव का क्षेत्र है जो बंगाल की खाड़ी से एक सीधी रेखा के रूप में पाकिस्तान तक फैला रहता है। सामान्य स्थिति में यह उड़ीसा, झारखण्ड, उत्तरी छतीसगढ़ व मध्यप्रदेश, दक्षिणी उत्तरप्रदेश, दिल्ली और राजस्थान के ऊपर होती है। इस रेखा के इर्द-गिर्द ही मानसून की अच्छी बारिश होती है। ट्रफ लाइन के दक्षिण यानी नीचे की तरफ सरकने पर देश के अधिकांश हिस्सों में मूसलाधार बारिश चलती है जबकि उत्तर की तरफ सरकने पर हिमालच के तलहटी क्षेत्रों में ही बारिश होती है। देश के अधिकांश हिस्सों में सूखा रहता है, जिसे सामान्यत: मानसून का ब्रेक कहते हैं। मानसून ब्रेक होने की वजह से इस बार स्वतंत्रता दिवस पर बारिश के आसार नहीं है।

एक सावन जमकर बरसा, दूसरे में सूखा

इस बार सावन का अधिमास है। चार जुलाई को सावन लगा था जो एक अगस्त तक था। दो अगस्त को दूसरा सावन शुरू हुआ जो 31 अगस्त को खत्म होगा। सावन के पहले महीने में प्रदेश में जमकर बारिश हुई। बदरा झूमकर बरसे लेकिन सावन का दूसरा महीना सूखा रहने की ही संभावना है। राजस्थान में दक्षिणी पश्चिमी मानसून काल जून से लेकर सितम्बर तक माना जाता है। सितम्बर के अंतिम महीने में मानसूनी हवा पीछे हटनी शुरू हो जाती है इसे मानसून का लौटना कहते हैं।
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