वरिष्ठ न्यायाधीश संगीत लोढ़ा तथा न्यायाधीश विनित कुमार माथुर की खंडपीठ ने इंद्रजीत सिंह की दायर जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान यह खुलासा करते हुए अतिरिक्त महाधिवक्ता करणसिंह राजपुरोहित को विस्तृत व सही ब्यौरा देने के निर्देश दिए हैं। दरअसल, छह साल, आठ महीने की सजा पूरी करने वाले कैदी आचरण के आधार पर खुली जेल में भेजने के पात्र होते हैं, लेकिन पिछली सुनवाई पर कोर्ट को बताया गया था कि पात्र बंदियों को खुली जेल में भेजने वाली कमेटी की बैठकें नियमित अंतराल में आयोजित नहीं हो पाती। इस कारण पात्र कैदियों को खुली जेल जाने से वंचित रहना पड़ रहा है। शपथ पत्र के अनुसार अप्रैल, 2019 में आयोजित बैठक में 230 कैदियों को खुली जेल भेजने का निर्णय लिया गया था और एक सौ कैदियों की प्रतीक्षा सूची तैयार की जा रही है। कोर्ट ने जब लॉ रिसर्चर्स के माध्यम से हकीकत की पड़ताल करवाई, तब पता लगा कि यह जानकारी तथ्यात्मक रूप से गलत है। जेल विभाग की वेबसाइट पर 11 से 15 अप्रैल, 2019 को आयोजित कमेटी की बैठक का कार्यवाही विवरण उपलब्ध है, जिसके अनुसार कमेटी ने 650 कैदियों के आवेदनों पर विचार किया। इनमें से 307 कैदियों के आवेदनों को स्वीकार किया गया। शपथ पत्र में इसके बाद कोई बैठक आहूत होने का विवरण नहीं है, जबकि 30 जुलाई को आयोजित बैठक में 100 कैदियों के आवेदनों पर विचार करते हुए 59 कैदियों को खुली जेल भेजने का निर्णय लिया गया। सरकारी शपथ पत्र में इस तरह की चूक पर कोर्ट ने नाराजगी जताते हुए कहा कि भविष्य में कोर्ट में सही तथ्य रखे जाएं।