script4 साल में 340 करोड़ DMF की मिली राशि फिर भी प्रभावित क्षेत्र के ग्रामीण पी रहे झरिया का पानी | Mines effected people facing clean drinking water in Kanker | Patrika News
कांकेर

4 साल में 340 करोड़ DMF की मिली राशि फिर भी प्रभावित क्षेत्र के ग्रामीण पी रहे झरिया का पानी

लौह अयस्क खनन में चार साल में 340 करोड़ की रायल्टी के बाद भी माइंस प्रभावित क्षेत्र के ग्रामीणों को प्यास बुझाने के लिए झरिया के पानी का सहारा लेना पड़ रहा है।

कांकेरOct 23, 2021 / 05:46 pm

Ashish Gupta

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4 साल में 340 करोड़ DMF की मिली राशि फिर भी प्रभावित क्षेत्र के ग्रामीण पी रहे झरिया का पानी

कांकेर. लौह अयस्क खनन में चार साल में 340 करोड़ की रायल्टी के बाद भी माइंस प्रभावित क्षेत्र के ग्रामीणों को प्यास बुझाने के लिए झरिया के पानी का सहारा लेना पड़ रहा है। गांव में न तो सीसी सड़क बनी और न ही पुल पुलिया का निर्माण कराया गया।चिराग की रोशनी में संकट भरी जिंदगी आज भी आदिवासी काटने के लिए मजबूर हैं।
खनिज विभाग के दस्तावेज में 6 लौह अयस्क खदानों का संचालन हो रहा है। हर साल लौह अयस्क संपदा के एवज में प्रभावित क्षेत्रों के विकास के लिए करोड़ों की रायल्टी मिल रही है। प्रभावित क्षेत्र के बच्चों को पढ़ने के लिए अंग्रेजी माध्यम स्कूल, स्वास्थ्य के लिए अच्छा अस्पताल, रोजगार के संसाधन, शुद्ध पानी, पक्की सड़क, नदी नालों में पुल-पुलिया का निर्माण डीएमएफ मद से कराया जाना है। पर एक पैसे का काम नहीं हो रहा है।
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डीएमएफ मद की राशि प्रभावित क्षेत्र में खर्च करने के बजाए शहरीय क्षेत्र में कमीशन में बंदरबांट हो रहा है। कम्पनी की दो प्रतिशत लाभ राशि भी स्थानीय लोगों की जरूरतों पर सीएसआर मद में खर्च की जानी है। चार साल में सीएसआर मद में करोड़ों का घोटाला हो चुका है। माइंस प्रभावित क्षेत्र में पुल-पुलिया नहीं होने के कारण ग्रामीण लकड़ी के पुल-पुलिया से आने जाने को मजबूर हैं। पीने के लिए शुद्ध पानी नहीं होने के कारण झरिया का पानी उपयोग कर रहे हैं। गांव में न तो नज जल योजना से पानी मिल रहा और न ही जल जीवन मिशन के तहत काम हो रहा है।
माइंस से लालपानी निकासी के लिए किसी प्रकार का बंदोबस्त नहीं होने से गरीबों का खेत बंजर हो रहा है। सही स्वास्थ्य सुविधाएं नहीं होने के कारण गरीब गंभीर बीमारी की चपेट में आ रहे हैं। माइंस खुलने से पहले आधुनिक सुविधाओं का सपना दिखाया गया लेकिन एक भी पूरा नहीं किया गया। प्रभावित क्षेत्रों के विकास के लिए मिलने वाली डीएमएफ राशि में करोड़ों का बंदरबांट हो रहा है।
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धरना-प्रदर्शन के बाद भी गरीबों को न्याय नहीं मिला तो थक हार माइंस में मजदूरी के लिए चक्कर लगा रहे हैं। जबकि इसी माइंस से सफेदपोश साठगांठ कर करोड़पति बन रहे हैं। खनन का कार्य भले ही फर्म कर रही हो लेकिन परिवहन से लेकर लोडिंग अनलोडिंग सब सफेदपोशों के बेटे-बेटी कर रहे हैं। विरोध करने पर मजदूरों को फूट डाल उन्हीं के लोगों में आपस में विवाद खड़ा तोड़ देते हैं।
हमारी सरकार में सभी को मिलेगा शुद्ध पानी: सुभद्रा
पांच साल तक जिला पंचायत अध्यक्ष रह चुकीं कांग्रेस जिला अध्यक्ष सुभद्रा सलाम ने कहा, हमारी सरकार संवेदनशील सरकार है। माइंस प्रभावित क्षेत्र जहां किसी को शुद्ध पानी नहीं मिल रहा मिल जाएगा। कांग्रेस सरकार क्षेत्र का तेजी से विकास कर रही है। सड़क भी बन रही है। लोगों को रोजगार भी मिल रहे हंै। लघु वनोपज की भी खरीदी हो रही है। डीएमएफ और सीएसआर की राशि से विकास करने के लिए कलेक्टर साहब से हम लोगों ने चर्चा की है। सड़क, बिजली, पानी तो सभी लोगों को मिलेगा।
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पारा का हैंडपंप खराब, झरिया पानी ही सहारा
ग्राम मेटाबोदेली के गढ़वानजपारा में 45 लोग निवास करते हैं। पारा निवासी आमाय बाई धु्रवा ने बताया कि कुछ साल पहले एक हैंडपम्प लगाया गया है। हैंडपम्प से आयरयुक्त आनी आ रहा था, वह भी काफी दिनों से खराब है। हम सब हर रोज झरिया का पानी उपयोग करते हैं। बार-बार माइंस प्रबंधक से आग्रह करने के बाद भी न तो हैंडपम्प लगाया जा रहा और न ही शुद्ध पानी देने का बंदोबस्त हो रहा है।

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गढ़वानजपारा में आने जाने के लिए पुल-पुलिया भी नहीं
रामप्रसाद ने कहा कि ग्राम मेटाबोदेली के गढ़वानजपारा में 15 परिवार निवास करते हैं। हम ग्रामीणों के लिए न तो सड़क बनी और न ही पुल पुलिया बनाया गया है। बारिश के मौसम में झरिया का पानी पीते हैं। आने जाने के लिए बांस बल्ली के पुल पुलिया का सहारा लेना पड़ता है। सांसद विधायक से गुहार करने के बाद भी कोई सुनने वाला नहीं है। खराब पानी का उपयोग करने से हम गरीबों की सेहत खराब हो रही है।

कम्पनियों न दी रायल्टी
वर्ष लाख रुपए
2016-17 3680.25
2017-18 5314.02
2018-19 8251.58
2019-20 11105.94
2020-21 13972.01

(तेज प्रताप की रिपोर्ट)

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