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कालाबाजारी का खेल शुरू: किसानों को अधिक दाम में डीएपी खाद बेच रहे संचालक, अधिकारी बोले-हमें जानकारी नहीं

Black marketing game: रबी सीजन में डीएपी खाद की मांग बढ़ते ही पखांजूर में कालाबाजारी का खेल शुरू हो गया। निजी कृषि दुकान संचालक किसानों से 350 रुपए से 400 रुपए प्रति बोरी अधिक ले रहे हैं। कृषि विभाग के अफसरों और जिला प्रशासन की घुड़की का असर नहीं दिख रहा है।

कांकेरDec 07, 2022 / 01:55 pm

CG Desk

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file photo

Black marketing game: रबी सीजन में डीएपी खाद की मांग बढ़ते ही पखांजूर में कालाबाजारी का खेल शुरू हो गया। निजी कृषि दुकान संचालक किसानों से 350 रुपए से 400 रुपए प्रति बोरी अधिक ले रहे हैं। कृषि विभाग के अफसरों और जिला प्रशासन की घुड़की का असर नहीं दिख रहा है। रबी की खेती करने वाले किसानों को खुलेआम बाजार में लूटा जा रहा और अधिकारी मौन धारण किए हैं। इस तरह की कालाबाजारी की भनक संबंधित विभाग के अधिकारियों को भी है।

कालाबाजारी रोकने की पहल नहीं
स्थानीय प्रशासन और जिम्मेदार अधिकारी कालाबाजारी रोकने पहल नहीं कर रहे हैं। सिर्फ कार्रवाई के नाम कागजी खानापूर्ति करते हैं। वैसे देखा जाए तो अधिकारी ही प्रमाण पत्र जारी करते हैं। परलकोट क्षेत्र के किसान दीपावली पूर्व से रबी की खेती के लिए खाद की खरीदी कर रहे हैं। इस सीजन में यहां अधिकांश किसान मक्का की खेती करते हैं। अभी बड़े पैमाने पर किसान मक्कालगा रहे हैं। किसानों को मक्का की खेती में डीएपी खाद की जरूरत है।

सोसाइटियों में खाता धारकों के अलावा अन्य किसानों को नकद भुगतान से उर्वरक डीएपी नहीं मिल रही है। ऐसे में मजबूरन किसान निजी दुकानों की ओर रूख कर रहे हैं। दुकानदार मोटा मुनाफा कर रहे हैं। परलकोट क्षेत्र के निजी उर्वरक विक्रय केंद्रों पर किसानों से निर्धारित कीमत से 350 से 400 रुपए एक बोरी में अधिक वसूली हो रही है। इस खेल पर पर्दा डालने के लिए किसानों को बिल नहीं दे रहे हैं। कुछ किसानों से पॉश मशीन में फिंगरप्रिंट नहीं लिया जा रहा है। ऐसे में कालाबाजारी रोकथाम का निर्देश महज खानापूर्ति सिद्ध हो रहा है।

प्रशासन सरकारी और निजी उर्वरक विक्रय केंद्रों पर सरकारी दर पर खाद बेचने हिदायत दे रहे लेकिन इसका असर नहीं दिख रहा है। वैसे तो इन दुकानों पर सूची चस्पा किया जाना है। ऐसे आदेशों का पालन एक भी निजी दुकानदार नहीं कर रहा है। किसानों के पॉकेट पर बेखौफ डाका डाल रहे हैं। वैसे तो ऐसे दुकानदारों की जांच करने की जिम्मेदारी कृषि विभाग के स्थानीय एसडीओ और जिला स्तर पर टीम को करनी है।

किसानों से ली जा रही मोटी रकम
पखांजूर में कृषि विभाग के अधिकारी होने के बाद भी इस तरह से हो रही लूट पर लगाम नहीं लग रही है। किसानों से मोटी रकम ली जा रही है। मोटी रकम नहीं देने वाले किसानों को निजी दुकानदार खाद नहीं दे रहे हैं। खुलेआम बोल रहे अगर सरकारी दर पर खाद बेचे तो उन्हें क्या फायदा है। मजबूरी में किसान अधिक पैसा देकर डीएपी खाद की खरीदी कर रहे हैं।

13 सौ रुपए बोरी की खाद 18 सौ में बेच रहे
वैसे तो सरकारी डीएपी खाद का मूल्य प्रति बोरी 1350 रुपए है। पखांजूर में 17 सौ से 18 सौ रुपए में खुलेआम बेचा जा रहा है। इस संबंध में पखांजूर वरिष्ठ कृषि विस्तार अधिकारी दिनेश कुंजाम ने कहा कि यह जानकारी अभी उन्हें मिल रही है। अभी तक किसानों की शिकायत नहीं मिली है। जांच होगी और दोषी पर कार्रवाई होगी। वैसे तो बाजार में अधिक दाम पर खाद की बिक्री तो नहीं हो रही अधिकारी को जांच करनी है। किसानों से शिकायत आने अफसर इंतजार कर रहे और किसानों को लूटा जा रहा है।


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जनप्रतिनिधि तमाशा देख रहे
वैसे तो सरकारी अधिकारियों को इस तरह से अधिक दर पर हो रही खाद बिक्री पर रोक लगाना है। क्षेत्र के निर्वाचित जनप्रतिनिधियों की भी उतनी ही जिम्मेदारी बनती है कि कहीं उनके क्षेत्र के किसानों पर कैंची तो नहीं चल रही है। इस तरह का मामला उजागर होने के बाद भी क्षेत्र के निर्वाचित जनप्रतिनिधि रोक नहीं लगा पा रहे तो कहीं न कहीं इस तरह की लूट में चंदा उगाही कर रहे हैं। बाजार में तय मूल्य से अधिक दर पर खाद का विक्रय करना कहीं न कहीं अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों के सरंक्षण में सब कुछ हो रहा है। इधर जनता लुट जा रही है और जनप्रतिनिधि तमाशा देख रहे हैं।

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