जिला जेल में बंद कैदी किसी न किसी मामले में सजा काट रहे हैं। अगर इंसान के नजरिया से देखें तो उन पर कई गुण नजर आ रहे हैं। बस उन्हें अधिकारियों के मार्गदर्शन और सिखाने वाला
गुरु हो। कुछ इसी तरह काष्ठकला का गुर जिला जेल में बंद बंदी ले रहे हैं। बंदी इस कार्य में निपुण हो रहे कि अपनी प्रतिभा को खुलकर दिखा सकें। कुछ इसी तरह की कला इस बार बंदियों ने दिखाने का प्रयास किया है। काष्ठकला के गुरु अजय मंडावी के सहयोग से दस बंदी ने बंकिमचंद चट्टोपाध्याय द्वारा रचित राष्ट्रगीत वंदेमातरम को लकड़ी पर उकेर दिए हैं। कड़ी मेहनत और लगन के बाद एक माह में यह कार्य पूरा हो पाया है।
लकड़ी पर लिखी गई यह गीत 22 फीट चौड़ाई और 38 फीट लंबाई में है। गुरुवार को गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड के सदस्यों के पास जेल परिसर में प्रस्तुत किया गया। मास्टर ट्रेनर अजय के मुुताबिक एक-एक शब्द एक-एक फीट की लकड़ी से बनाया गया है। बंदी सिर्फ इस बात से उत्साहित हैं कि वे अपनी कला के जरिए अपने अच्छे इंसान और राष्ट्रभक्त होने का संदेश देश-दुनिया को देने जा रहे हैं। मंडावी ने कहा कि उनकी यही सोच है कि बंदी यहां हर कार्य में निपुण हों और जेल से छुटने के बाद मुख्यधारा में लौटकर अपनी कला को दुनिया वालों के पास प्रस्तुत करें। काष्ठकला सहित अन्य कलाओं में निपुणता दिखाकर अपने नाम रोशन करें। जेल में बंदी इस कला से काफी उत्साहित दिख रहे थे।
इन बंदियों की मेहनत से बन रहा रिकॉर्ड
जिला जेल में बंद संबलपुर के राकेश कोमरे, जयराम कोला, भानुप्रतापपुर के श्रवण बघेल, अंतागढ़ के मंगल कावड़े, बम्हादेव परदे नरहरपुर, अंतागढ़ के सनक हुर्रा, लक्ष्मी कोमरे, कोयलीबेड़ा के सुरेश सोरी और नरहरपुर के अनिल कुमार इस कला में शामिल है। सभी ने बड़े लगन से इसकों लिखने में काम किया।
राठी बोले-जिले में काष्ठकला के हीरा अजय
गोल्डन बुक आफ वर्ड रिकार्ड के टैलेंट मैनजर व संचालक नवल किशोर राठी ने बताया कि वे बिखरी हुई प्रतिभा को निखराने का काम कर रहे हैं। जेल में बंदियों के इस प्रतिभा को देखकर लगा कि उन पर कुट-कुट कर प्रतिभा भरी है। उनका यह कार्य अंतरराष्ट्रीय पहचान जरुर दिलाएगा। छग के अतिसंवेदनशील जिले में काष्ठकला के रूप में मास्टर ट्रेनर अजय मंडावी हीरा जैसे है। उनके प्रेरण से कई बंदी इस कला का गुर सीख चुके है।
वल्र्ड ऑफ रिकार्ड में आने पर जिला व जेल प्रशासन की उपलब्धी होगी। मास्टर ट्रेनर के सहयोग से बंदियों कलाकृति सिखी है। अभी 25 बंदी सीख रहे हंै। बंदियों के माध्यम से यह बनाई गई काष्ठ कला समाज में एक अच्छा संदेश जाएगा।
सतीश चन्द्र भार्गव, जेलर जिला जेल कांकेर